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शाहरुख खान की राह पर सलमान खान, ‘किसी का भाई किसी की जान’ के लिए अपनाई ‘पठान’ की ये ट्रिक

Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan-Pathaan: हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’ का इंतजार हर कोई बड़ी ही बेसब्री से कर रहा है. अब तक सलमान खान की ‘किसी का भाई किसी की जान’ (Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan) के दो शानदार गाने और धमाकेदार टीजर रिलीज किया जा चुका है. इस बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि सलमान ने बॉलीवुड इंडस्ट्री के सुपरस्टार शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) की फिल्म ‘पठान’ (Pathaan) की एक ट्रिक को आपनाया है.

सलमान ने अपनाया ‘पठान’ का ये तरीका

दरअसल सुपरस्टार शाहरुख खान की फिल्म ‘पठान’ के ट्रेलर रिलीज से मेकर्स ने एक नया तरीका निकला था. जिसके आधार पर ट्रेलर से पहले फिल्म के दो गाने और टीजर रिलीज किया गया था. आलम ये रहा कि मेकर्स का दांव ‘पठान’ के लिए सफल रहा और पठान हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्ट फिल्म बनी. अब शाहरुख खान की राह पर उनके अजीज दोस्त सलमान खान भी चल पड़े हैं, क्योंकि सलमान खान की ‘किसी का भाई किसी की जान’ का ट्रेलर अभी तक रिलीज नहीं हुआ है और फिल्म ‘पठान’ की तरह ‘किसी का भाई किसी की जान’ के दो गाने और टीजर पहले ही सामने आ गए हैं. ऐसे में अब ये देखना दिलस्प रहेगा कि क्या सलमान खान की ‘किसी का भाई किसी की जान’ शाहरुख खान की ‘पठान’ की तरह से सुपर सक्सेस साबित होती है या नहीं. 

कब रिलीज होगी ‘किसी का भाई किसी की जान’ 

सलमान खान (Salman Khan) की ‘किसी का भाई किसी की जान’ के लिए हर कोई काफी एक्साइटेड है. फिल्म का टीजर पहले ही फैंस का दिल जीत चुका है. इसके बाद ‘किसी का भाई किसी की जान’ (Kisi Ka Bhai Kisi Ki Jaan) के दो गाने ‘नय्यो लगदा’ और ‘बिल्ली बिल्ली’ इन दोनों दर्शकों की पहली पसंद बने हुए हैं. इस बीच गौर करें ‘किसी का भाई किसी की जान’ की रिलीज डेट की तरफ तो आने वाले अप्रैल में ईद के मौके पर सलमान खान की ये फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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