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बॉक्स ऑफिस पर शानदार रहेगा ‘डंकी’ का संडे कलेक्शन, देखें चौथे दिन की एडवांस बुकिंग रिपोर्ट

Dunki Fourth Day Advance Booking: राजकुमार हिरानी के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘डंकी’ आखिरकार 21 दिसंबर को थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है. ट्रेलर रिलीज के बाद से फिल्म को लेकर दर्शकों में काफी क्रेज नजर आ रहा था. पहले दिन वर्किंग डे होने के बावजूद फिल्म ने लगभग 30 करोड़ की कमाई की. हालांकि दूसरे दिन ही प्रभास की ‘सालार’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गई जिसके चलते शाहरुख खान की फिल्म की कमाई में गिरावट देखी गई.वहीं तीसरे दिन भी ‘सालार’ ने बाजी मार ली.

सैकनिल्क की रिपोर्ट के मानें तो संडे को ‘डंकी’ के कलेक्शन में बढ़ोतरी हो सकती है. क्योंकि रिपोर्ट को मुताबिक शाहरुख खान की फिल्म ने अब तक (शाम 7:30 बजे तक) 2,33,297 टिकट बेच लिए हैं और 7.47 करोड़ रुपए का कलेक्शन भी कर लिया है. हालांकि ये शुरुआती आंकड़े हैं और ये आगे बढ़ भी सकते हैं.


कैसा है ‘डंकी’ का कलेक्शन?
‘डंकी’ के अब तक के कलेक्शन की बात करें तो फिल्म ने पहले दिन 29.2 करोड़ कमाए थे. दूसरे दिन फिल्म ने 20.12 करोड़ का कारोबार किया तो वहीं तीसरे दिन अब तक 18.95 करोड़ की कमाई कर चुकी है. यानी घरेलू बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का टोटल कलेक्शन अब 68.27 करोड़ रुपए हो गया है. वहीं वर्ल्डवाइड कलेक्शन की बात करें तो दो दिनों में ‘डंकी’ ने दुनियाभर में 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है.

कहानी, कास्ट और बजट
‘डंकी’ की कहानी की बात करें तो फिल्म चार दोस्तों की कहानी दिखाती है जो विदेश जाना चाहते हैं. पासपोर्ट और वीजा ना होने के चलते उन्हें चोरी के रास्ते से विदेश जाना पड़ता है. फिल्म में शाहरुख खान के साथ विक्की कौशल, तापसी पन्नू और बोमन ईरानी भी हैं. फिल्म के बजट की बात करें तो ये 85 करोड़ की लागत से बनी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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