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OpenAI ने लॉन्च किया Sora, जो सिर्फ शब्दों को समझकर बनाएगा शानदार वीडियो और शॉर्ट्स

OpenAI Video Creating Service: OpenAI ने बीते गुरुवार को एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मॉडल Sora का ऐलान किया है, जो टेक्स्ट इंस्ट्रक्शन की मदद से एक मिनट तक की लेंथ वाली रियलिस्टिक वीडियो क्रिएट कर सकता है. हालांकि, ChatGPT को बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने कहा कि यह टूल अभी भी रिसर्च स्टेज में है, और अभी तक इसे कंपनी के प्रॉडक्ट के साथ उपलब्ध नहीं कराया गया है.

OpenAI ने लॉन्च किया Sora

कंपनी के मुख्य कार्यकारी सैम ऑल्टमैन ने अपने एक्स (पुराना नाम ट्विटर) अकाउंट के जरिए एआई के नए प्रॉडक्ट को पेश करते हुए एक पोस्ट किया और उसमें लिखा कि, “आज हम रेड-टीमिंग शुरू कर रहे हैं और फिलहाल इसे सिर्फ कुछ चुनिंदा क्रिएटर्स के लिए ही उपलब्ध कराया गया है.”

उन्होंने अपनी एक्स अकाउंट के जरिए किए गए पोस्ट में सोरा (Sora) की क्षमताओं के बारे में जानकारी देते हुए आगे लिखा कि, “हम आपको दिखाना चाहते हैं कि सोरा क्या कर सकता है, कृपया उन वीडियो के लिए कैप्शन भेजें जिन्हें आप देखना चाहते हैं और हम कुछ वीडियो बनाना शुरू कर देंगे!”

कैप्शन पढ़कर बनाया वीडियो

सैम ऑल्टमैन के इस पोस्ट पर किसी यूज़र्स ने रिप्लाई करते हुए एक नीले कपड़े वाले जादूगर के बारे में एक कैप्शन लिखा. उस कैप्शन का रिप्लाई करते हुए ऑल्टमैन ने सोरा पर बनाया गया एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें सितारों से ढके नीले कपड़े पहने एक सफेद दाढ़ी वाले व्यक्ति को दिखाया गया.

ओपनएआई ने अपनी इस नई वीडियो क्रिएटिंग सर्विस के बारे में बताते हुए कहा कि, “सोरा कई कैरेक्टर्स, कई खास तरह के मोशन्स, सब्जेक्ट की सटीक डिटेल्स, और बैकग्राउंड के साथ अनेकों तरह के कॉम्प्लेक्स वीडियो बना सकता है.” इसके अलावा कंपनी ने कहा कि. “सोरा एक ही वीडियो में कई शॉट्स भी बना सकता है.”

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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