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मुकेश छाबड़ा की मां के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर, अस्पताल पहुंचे ये फेमस सितारे

 Mukesh Chhabra Mother Dies: फेमस कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा (Mukesh Chhabra) की मां कमला छाबड़ा (Kamla Chhabra) का आज मुंबई की कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया. इस खबर से पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर  है. वहीं खबर सुनने के बाद अब इंडस्ट्री के कई बड़े सितारे अस्पताल में पहुंचे रहे हैं. जिसमें दीपिका पादुकोण, नूपुर सेनन, फराह खान जैसे सेलेब्स शामिल है.  

 कोकिलाबेन अस्पताल पहुंचे य़े सितारे

खबरों के अनुसार मुकेश छाबड़ा की मां का गुरुवार को मुंबई के ओशिवारा शमशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं मुकेश के मुश्किल वक्त में उनका साथ निभाने के लिए दीपिका पादुकोण, नूपुर सेनन, फराह खान औऱ अपारशक्ति खुराना अस्पताल पहुंचे. जिनकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर सामने आई हैं.  

  

 तीन दिनों से कमला छाबड़ा की थी हालत खराब

बता दें कि कमला छाबड़ा की हालत पिछले तीन दिनों से काफी खराब थी. तीन दिन से वो होश में नहीं आई थी. वहीं डॉक्टर उन्हें होश में लाने की पूरी कोशिश कर रहे थे. लेकिन आज उन्होंने 73 साल की उम्र में दम तोड़ दिया. इस खबर की जानकारी खुद मुकेश छाबड़ा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए सभी को दी है. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उनका अंतिम संस्कार 14 अप्रैल को सुबह 10 बजे मुंबई के ओशिवारा श्मशान घाट में किया जाएगा. इस पोस्ट को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा – ” उनकी आत्मा को हमेशा शांति मिले..” वहीं खबर सुनने के बाद बॉलीवुड की तमाम हस्तियां मुकेश को उनके मुश्किल वक्त में संवेदनाएं दे रहे हैं… 

मुकेश छाबड़ा इंडस्ट्री के फेमस कास्टिंग डायरेक्टर हैं. जो 300 से अधिक फिल्मों के साथ वेब सीरीज और ऐड्स में कास्टिंग कर चुके हैं. बता दें कि वो सुशांत सिंह राजपूत, राजकुमार राव, मृणाल ठाकुर, सान्या मल्होत्रा, प्रतीक गांधी और फातिमा सना शेक जैसे कलाकारों को इंट्रोड्यूस कर चुके हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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