टैकनोलजी

ग्रामीण लोगों को उनकी ही भाषा में सरकारी योजनाओं की जानकारी देगा Jugalbandi AI

Jugalbandi AI Chatbot : एआई की दुनिया का विस्तार हो रहा है. अब माइक्रोसॉफ्ट ने मंगलवार को एक लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से जेनरेटिव एआई बहुभाषी चैटबॉट लॉन्च किया है. इस एआई चैटबॉट का नाम जुगलबंदी (Jugalbandi) है. जुगलबंदी के लिए जिस लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के साथ कॉलेबोरेशन किया गया है, वो वॉट्सएप है. जुगलबंदी को विशेष रूप से ग्रामीण भारत के उन क्षेत्रों को कवर करने के लिए बनाया गया है जहां मीडिया की पहुंच सरलता से नहीं है. इस एआई चैटबॉट के सहारे से ग्रामीण लोग सरकार सरकार की कल्याणकारी एक्टिविटी और योजनाओं के बारे में जान सकेंगे.

कई भाषाओं को समझता है जुगलबंदी

इस एआई चैटबॉट का इस्तेमाल ग्रामीण लोग वॉट्सएप पर कर सकेंगे. इससे वे किसी भी सरकारी वेलफेयर योजना से अनजान नहीं रहेंगे. वॉट्सएप एक ऐसा प्लेटफार्म है, जिसका इस्तेमाल लगभग सभी लोग कर रहे हैं. जुगलबंदी चैटबॉट को AI4Bharat ने IIT मद्रास के सहयोग से डेवलप किया है. आपको पता है, इसके सबसे खास बात क्या है? जुगलबंदी करीब 10 भाषाओं को समझ सकता है. इसका उद्देश्य कई भाषाओं में यूजर्स के सवालों को समझकर सहायता प्रदान करना है. इतना ही नहीं, जुगलबंदी टाइपिंग और वाइस नोट दोनों को समझ सकता है. 

कैसे काम करता है जुगलबंदी? 

यूजर से सवाल मिलने के बाद, चैटबॉट संबंधित प्रोग्राम से जानकारी प्राप्त करता है. जानकारी अक्सर केवल अंग्रेजी में उपलब्ध होती है, लेकिन जुगलबंदी यूजर्स को उनकी स्थानीय भाषा में जानकारी शो करता है. माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार, जुगलबंदी AI4Bharat और Microsoft Azure OpenAI सर्विस के AI मॉडल को कन्बाइन करता है, जिससे यूजर्स और चैटबॉट के बीच सहज बातचीत हो सकती है. बता दें कि जुगलबंदी को अप्रैल में लॉन्च किया गया था और भारत की राजधानी नई दिल्ली के पास एक गांव बीवान में इसकी टेस्टिंग भी हुई है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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