भारत

ईद पर 5 करोड़ मुस्लिम स्टूडेंट्स को मोदी सरकार का तोहफा, पढ़ाई के लिए मिलेगा पैसा!

नरेंद्र मोदी सरकार ने ईद पर मुस्लिम युवाओं को बड़ा तोहफा दिया है. यह तोहफा है पढ़ाई-लिखाई के लिए. केंद्रीय अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्री मुख्‍तार अब्‍बास नकवी ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद अगले पांच साल में 5 करोड़ विद्यार्थियों को ‘प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति’ देने का एलान किया. खास बात ये है कि इसमें से करीब ढ़ाई करोड़ यानी 50 प्रतिशत छात्राएं होंगी. इसका लाभ लेने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बना दिया गया है.
नकवी ने कहा कि विकास की गाड़ी को विश्‍वास के हाईवे पर तेजी से दौड़ाना अगले पांच वर्षों में हमारी प्राथमिकता होगी, ताकि प्रत्‍येक जरूरतमंद की आंखों में खुशी और उसके जीवन में समृद्धि लाई जा सके. विश्‍वास के हाईवे पर न कोई स्‍पीड ब्रेकर आने देंगे और न कोई रोड़ा. इसके लिए हमें चौकस और चौकन्‍ना रहना होगा.
नकवी ने कहा कि ‘3ई’ यानी एजुकेशन, एम्‍प्‍लॉयमेंट और एम्पावरमेंट हमारा लक्ष्‍य है. इसे पूरा करने के लिए हम परिश्रम कर रहे हैं. मुस्लिम ल‍ड़कियों की शिक्षा को प्रोत्‍साहित करने के लिए ‘पढ़ो–बढ़ो’ अभियान चलाया जाएगा. दूरदराज के इलाकों में जहां आर्थिक-सामाजिक कारणों से लोग लड़कियों को शिक्षा के लिए नहीं भेजते हैं वहां शैक्षणिक संस्‍थानों को सुविधाएं एवं साधन उपलब्‍ध कराने के लिए काम किया जाएगा. सौ से ज्‍यादा मोबाइल वैन के माध्‍यम से शिक्षा-रोजगार से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए देश भर में अभियान चलाया जाएगा.
मुस्लिमों को ऐसे मिलेगा रोजगार:-
नकवी ने कहा कि रोजगार पर भी पांच साल का रोडमैप पेश किया. कहा कि दस्‍तकारों/शिल्‍पकारों/कारीगरों को रोजगार से जोड़ने और बाजार मुहैया करवाने के लिए अगले पांच साल में देश में 100 से अधिक ‘हुनर हाट’ का आयोजन होगा. साथ ही उनके स्‍वदेशी उत्‍पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए भी व्‍यवस्‍था की जाएगी.

पांच साल 25 लाख नौजवानों को रोजगारपरक कौशल उपलब्‍ध कराया जाएगा और इसके साथ ही ‘सीखो और कमाओ’ ‘नई मंजिल’ ‘गरीब नवाज कौशल विकास’ और ‘उस्‍ताद’  जैसे रोजगारपरक कौशल विकास कार्यक्रमों को प्रभावकारी बनाया जाएगा.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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