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Elon Musk से लड़ने के लिए तैयार हुए मार्क जुकेरबर्ग, कहा मुझे लोकेशन बताओ

Elon Musk and Mark Zuckerberg Fight: दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन  मस्क मेटा के सीईओ मार्क जुकेरबर्ग से लड़ना चाहते हैं. उन्होंने मार्क जुकेरबर्ग को केज मैच के लिए चैलेंज दिया था. इस चैलेंज को मार्क जुकेरबर्ग ने एक्सेप्ट कर लिया है और वे मैच के लिए तैयार हो गए हैं. उन्होंने बीते दिन अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक स्टोरी शेयर कर मस्क से लोकेशन भेजने के लिए कहा है. इसके जवाब में मस्क ने एक ट्वीट कर उन्हें लोकेशन बताई है.

क्यों हो रही मारामारी?

दरअसल, ये पूरा मामला मेटा के ट्विटर जैसे ऐप को लाने से जुड़ा हुआ है. मार्क जुकेरबर्ग ट्विटर का कंपीटिटर लाना चाहते हैं और इसपर काम भी लगभग पूरा हो चुका है. इसी बात को लेकर ट्विटर के मालिक मस्क ने मेटा के सीईओ को ऑनलाइन केज फाइट के लिए चैलेंज दिया था जिसे अब मार्क ने एक्सेप्ट कर लिया है. ट्विटर पर मस्क मार्क को अलग-अलग तरह से टारगेट कर रहे हैं. एक ट्वीट में उन्होंने “Zuck my 👅 लिखा था.    

मेटा के सीईओ को लड़ाई में मिल चुका है मैडल

बता दें, मेटा के सीईओ को स्पोर्ट्स पसंद है और वे खेलकूद करते रहते हैं. फाइटिंग का अनुभव मार्क जुकेरबर्ग को लम्बे समय से है. उन्होंने सितंबर 2021 में  UFC (अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियनशिप) में अपने डेब्यू से पहले अपने एक ट्रेनिंग पार्टनर खाई वू जिसे “द शैडो” के नाम से भी जाना जाता है, के साथ फाइट की थी और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया था. पिछले साल मई में हुए जिउ-जित्सु टूर्नामेंट में मार्क ने एक मैडल भी जीता था. उन्होंने जीआई और नो जीउ-जित्सु दोनों में व्हाइट बेल्ट मास्टर 2 लाइटवेट डिवीजन में पार्टिसिपेट किया था.

मस्क भी नहीं हैं कम 

एलन मस्क ने एक पॉडकास्ट के दौरान ये जानकारी शेयर की थी कि जब वे छोटे थे तो उन्हें क्योकुशिन कराटे, तायक्वोंडो, जूडो और “ब्राज़ीलियाई जिउ-जित्सु सिखाया गया है. यानि मस्क को भी लड़ाई के दाव-पेंच मालूम हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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