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नम्रता मल्ला ने इस ट्रेडिंग गाने पर मचाया गदर, देखें वीडियो

भोजपुरी इंडस्ट्री की पॉपुलर एक्ट्रेस नम्रता मल्ला आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी रहती हैं। हाल ही में भोजपुरी की क्वीन नम्रता मल्ला का एक गाना रिलीज हुआ है, जिसका नाम ‘करिया ब्लाउज’ है। इस गाने पर लोग खूब रील बना रहे हैं। यूपी-बिहार के लोगों ने नम्रता मल्ला के नए सॉन्ग को तगड़ा रिस्पॉन्स दिया है। इस बीच भोजपुरी एक्ट्रेस नम्रता मल्ला ने पंजाबी गाने पर ठुमके लगाए है। नम्रता मल्ला का एक रील वीडियो सामने आया है, जो कि सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है। आइए नजर डालते हैं इस क्लिप पर… Also Read – नम्रता मल्ला ने भोजपुरी गाने पर मटकाई पतली कमरिया, किलर मूव्स देख मदहोश हुए फैंस

नम्रता मल्ला ने शेयर किया वीडियो

भोजपुरी इंडस्ट्री की सबसे बोल्ड एक्ट्रेसेस में से एक नम्रता मल्ला ने एक बार फिर से अपना जलवा बिखेरा है। हालांकि इस बार नम्रता मल्ला ने भोजपुरी पर बल्कि पंजाबी सॉन्ग पर अपने लटके-झटके दिखाए है। भोजपुरी की क्वीन नम्रता मल्ला ने फिल्म अमर सिंह चमकीला के सॉन्ग ‘पहले ललकारे’ पर जोरदार ठुमके लगाए हैं। नम्रता मल्ला का ये अंदाज फैंस को काफी पसंद आ रहा है। नम्रता मल्ला के इस क्लिप पर लोग जमकर रिएक्ट कर रहे हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि नम्रता मल्ला की हर अदा पर लोग फिदा हो गए हैं। Also Read – भोजपुरी एक्ट्रेस नम्रता मल्ला ने साड़ी में किया ऐसा डांस, इंटरनेट पर मच गया तहलका

यहां देखें नम्रता मल्ला का वीडियो:

सोशल मीडिया पर कायम है नम्रता मल्ला का जलवा

बताते चलें कि भोजपुरी एक्ट्रेस नम्रता मल्ला सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। नम्रता मल्ला आए दिन अपने फैंस के साथ तस्वीरें और वीडियोज शेयर कर रही हैं। वहीं भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में नम्रता मल्ला ने ऐसा बोल्डनेस का तड़का लगाया है कि सभी लोग उनके दीवाने हो गए हैं। आए दिन उनका कोई न कोई नया सॉन्ग रिलीज हो रहा है, जिसे लोग पसंद कर रहे हैं। Also Read – नम्रता मल्ला की अदाएं देख सोफिया अंसारी को जाएंगे भूल, एक-एक तस्वीर को बार-बार निहारेंगे फैंस

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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