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यूरोपीय यूनियन ने मेटा को दी चेतावनी, सोशल मीडिया से गलत सूचना हटाने का दिया आदेश

Israel-Hamas war : हमास आतंकियो के इजराइल पर किए हमले के बाद इजराइल लगातार हमास आतंकियों पर कार्रवाई कर रहा है. इस सबके बीच सोशल मीडिया पर कई दुष्प्रचार वायरल हो रहे हैं. जिसके बारे में यूरोपियन यूनियन के कमिश्नर थिएरी ब्रेटस ने मेटा के मालिक जुकरबर्ग को एक पत्र लिखा है और आदेश देते हुए सोशल मीडिया से दुष्प्रचार करने वाली सामग्री हटाने की बात कही हैं.

थिएरी ब्रेटस ने अपने पत्र में चेतावनी देते हुए कहा कि मेटा के पास 24 घंटे का वक्त है, जिसमें मेटा इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से अवैध पोस्ट का हटा लें. आपको बता दें मार्क जुकरबर्ग थ्रेड्स के भी मालिक है.

अनवेरिफाइड फोटो और वीडियो हो रहे वायरल

गाजा पट्टी से हमास के बंदूकधारियों के इजराइल में घुसने और दशकों में देश के सबसे खतरनाक हमले को अंजाम देने के कुछ घंटों बाद, मिसाइल हवाई हमलों की अनवेरिफाइड फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर की जाने लगीं. इन फोटोज और वीडियोज में इमारतों और घरों को तबाह करते दिखाया गया और इजराइल और गाजा में सैन्य हिंसा को दर्शाने वाली अन्य पोस्ट भी शेयर की गई.

मेटा दुष्प्रचार रोकने में विफल रहा तो लगेगा जुर्माना

यूरोपियन यूनियन के डीएसए अधिनियम के अनुसार अगर मेटा अपने प्लेटफॉर्म पर युद्ध संबंधित दुष्प्रचार रोकने में विफल रहता है, तो ऐसे में उसके उपर तगड़ा जुर्माना लगाया जा सकता है. इस जुर्माने में मेटा केा अपनी दुनिया भर में कुल वार्षिक कारोबार का 6 प्रतिशत तक जुर्माना देना पड़ सकता है. आपको बता दें इससे पहले ईयू ने एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता है, उसे भी चेतावनी दी थी. 

आपको बता दें इजरायल पर आतंकवादी इस्लामी समूह हमास के हमले और फिलिस्तीनी क्षेत्र गाजा में इजरायल के जवाबी हवाई हमलों के बाद, सोशल मीडिया फर्मों ने संघर्ष से संबंधित गलत सूचनाओं में वृद्धि देखी है, जिसमें ग्राफिक हिंसा की छवियों के साथ-साथ छेड़छाड़ की गई छवियां और गलत लेबल वाले वीडियो भी शामिल हैं. ऐसे में ईयू ने सोशल मीडिया पर सख्त रवैया अपनाया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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