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Instagram लाने वाला है कई नए फीचर, मिलेगा दोस्तों के फोटो एड करने का ऑप्शन

Instagram : इंस्टाग्राम हमेशा से यूजर्स फ्रेंडली फीचर्स पर काम करता रहा है. कंपनी अब एक ऐसा ही नया फीचर लाने वाली है, जिसमें आप अपनी फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों की पोस्ट में कंटेंट जोड़ सकेंगे. जिसका मतलब है कि अगर आप अपने प्रोफाइल पर कोई पोस्ट करने वाले हैं, तो उसमें अब आपको अपनी फॉलोअर्स लिस्ट में शामिल लोगों को फोटो और वीडियो सबमिट करने का ऑप्शन मिलेगा.

हाल ही में मोसारी ने अपने इंस्टाग्राम चैनल पर एक पोस्ट में कहा, इंस्टाग्राम इस फीचर को जल्द ही रिलीज करने वाला है, जिसमें यूजर्स अपने फॉलोअर्स को पोस्ट में वीडियो और फोटो ऐड करने का ऑप्शन दे सकेंगे. इसके लिए इंस्टाग्राम के बॉटम लेफ्ट कॉर्नर में एक बटन मिलेगा, जिसको टैब करके आप इस फीचर को एक्टिव करके फॉलोअर्स को अपनी पोस्ट में एड ऑन कर सकते हैं. 

इंस्टाग्राम के फीचर से होगा ये फायदा
  
ऐसा होता है कि जब लोग छुट्टियों पर जाते हैं, तो समूह का प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी तस्वीरें खींचता है, इसमें ऐसा कई बार होता है कि हर किसी के पास यात्रा की सभी तस्वीरें न हों. यह फीचर किसी ऐसी यात्रा की यादें साझा करने का विकल्प होगा जो आपने साथ में की हो.

इसके अलावा, लोग दूसरों को उनके द्वारा देखे गए स्मारकों की तस्वीरें पोस्ट करने की अनुमति देकर भी सहयोग कर सकते हैं. इंस्टाग्राम पहले से ही यूजर्स को फ़ीड पोस्ट या रील्स साझा करने में सक्षम बनाकर सहयोग करने की अनुमति देता है. इसके अलावा, यूजर्स 250 लोगों तक फोटो और वीडियो को शेयर और सेव कर सकते हैं.

इसके अलावा इंस्टाग्राम ने सेल्फी वीडियो पोस्ट का टेस्ट भी शुरू किया है, जिसमें आप लूपिंग वीडियो के साथ कंटेट को भी डिफॉल्ट प्रोफाइल में सेव कर सकेंगे. वहीं आने वाले दिनों में इंस्टाग्राम कई दूसरे फीचर्स भी रोलआउट कर सकता है, जो यूजर्स इंटरेस्ट को बेहतर करेंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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