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सिर्फ 1 अकाउंट को Follow Back करते हैं रतन टाटा, आखिर किसका है ये अकाउंट?

Ratan Tata: बिजनेसमैन रतन टाटा का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा. सोशल मीडिया पर रतन टाटा बेहद कम एक्टिव रहते हैं. लेकिन जब भी वो कोई बात शेयर करते हैं तो लोग उसे बड़े ध्यान से पढ़ते हैं. रतन टाटा के चाहने वालों की तादाद क्या है इस बात का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि उद्योगपति को इंस्टाग्राम पर 85 लाख से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं. लेकिन इस बीच हैरानी की बात ये है कि रतन टाटा सिर्फ एक प्रोफाइल को ही इंस्टा पर फॉलो करते हैं. जानिए कि आखिर कौन वो शख्सियत है जिसे टाटा फॉलो करते हैं.

सिर्फ इस अकाउंट को फॉलोबैक करते हैं रतन टाटा

रतन टाटा जिस अकाउंट को फॉलो करते हैं वो किसी इंडिविजुअल का अकाउंट नहीं बल्कि एक संगठन का अकाउंट है. रतन टाटा सिर्फ ‘टाटा ट्रस्ट’ को फॉलो करते हैं जिसकी स्थापना 1919 में हुई थी. बता दें, वैसे तो रतन टाटा, टाटा ग्रुप की सभी जिम्मेदारियां छोड़ चुके हैं लेकिन वो अभी भी टाटा ट्रस्ट के कामों से जुड़े हुए हैं और वे इसके चेयरमैन हैं. ये ट्रस्ट हेल्थ, न्यूट्रिशन, एजुकेशन, सोशल जस्टिस, पर्यावरण आदि कई सेक्टरों में काम करता है. रतन टाटा सिर्फ यही ट्रस्ट नहीं चलाते बल्कि इसके अलावा भी वे कई ट्रस्ट चलाते हैं जिससे समाज में अच्छे बदलाव आ सकें और लोगों के भविष्य को बेहतर बनाया जा सके . 

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रतन टाटा इंस्टाग्राम या सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव नहीं रहते. आखरी बार इंस्टाग्राम पर 15 जनवरी को रतन टाटा ने एक पोस्ट शेयर की थी जो टाटा इंडिका कार के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में उद्योगपति ने शेयर की थी. रतन टाटा बीच-बीच में अपनी प्रोफाइल पर पुरानी तस्वीर और यादें भी शेयर करते रहते हैं. इससे पहले उन्होंने एक पुरानी तस्वीर शेयर की थी जो 1945 की है जिसमें वे अपने भाई जिमी के साथ दिखाई दे रहे हैं. बता दें, रतन टाटा ने बीते 28 दिसंबर 2022 को अपना 85 वां जन्मदिन बनाया था.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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