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iPhone में मिलने वाला फीचर अब एंड्रॉइड में भी मिलेगा, थर्ड पार्टी ऐप से नहीं चलाना होगा काम 

Android Battery health Feature: स्मार्टफोन कंपनियों ने एक नया ट्रेंड सेट किया है और वे अपने प्रीमियम स्मार्टफोन्स में 7 से 8 साल तक का OS सपोर्ट दे रही हैं. यानि अगर आप पैसा खर्च कर के कोई प्रीमियम फोन ले रहे हैं तो इसे आप आराम से 8 से 10 साल तक चला सकते हैं. गूगल ने कुछ समय पहले पिक्सल 8 सीरीज लॉन्च की थी जिसमें कंपनी ने 7 साल तक OS अपडेट देने की बात कही है. इतने लंबे समय तक फोन सही चलते रहे इसके लिए कम्पनियां रिपेयर ऑप्शन और पार्ट्स की उपलब्धता पर भी ध्यान दे रही हैं ताकि ग्राहकों को कोई परेशानी न हो.

लंबे समय तक फोन सही से काम करे इसके लिए बैटरी हेल्थ का अच्छा होना बेहद जरुरी है. एंड्रॉइड स्मार्टफोन के साथ फिलहाल परेशानी ये है कि इनमे बैटरी हेल्थ चेक करने का कोई ऑप्शन नही है जिस तरह iPhone में मिलता है. हालांकि गूगल ने पिक्सल 8 सीरीज में एंड्रॉइड 14 के साथ बैटरी इनफार्मेशन का ऑप्शन दिया है, लेकिन अभी भी iPhone जैसा सपोर्ट एंड्रॉइड में नहीं है.

थर्ड पार्टी ऐप को बोले टाटा बाय-बाय 

इस परेशानी को खत्म करने और यूजर्स को फोन की बैटरी इनफार्मेशन की सुविधा देने के लिए गूगल पिछले साल से काम कर रही है और एंड्रॉइड 15 से यूजर्स को उनकी फोन की बैटरी हेल्थ की पूरी जानकारी मिलने की उम्मीद है. यानि जब से आपका स्मार्टफोन शुरू होगा तब से लेकर आपके यूज करने तक की इनफार्मेशन फोन OS में रिकॉर्ड होगी और इस आधार पर बैटरी हेल्थ बताई जाएगी. वहीं, थर्ड पार्टी ऐप्स के साथ परेशानी ये है कि ये बैटरी हेल्थ की सटीक जानकारी नहीं देते हैं क्योकि इन्हें फोन में जब इनस्टॉल किया जाता है, ये तब से बैटरी की जानकारी को कलेक्ट करते हैं. इनमें OS के जैसी रीडिंग नहीं आती.

एंड्रॉइड अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी Android 14 QPR2 Beta 2 में बैटरी हेल्थ ऑप्शन पर काम कर रही है जो आने वाले समय में पिक्सल और दूसरे एंड्रॉइड 14 यूजर्स को मिल सकता है. एंड्रॉइड 15 के बाद जो भी फोन लॉन्च होंगे उनमें कंपनी इस ऑप्शन को डिफॉल्ट रूप से दे सकती है. यानि आपको बैटरी हेल्थ चेक करने के लिए कोई भी ऐप फोन में डालने की जरूरत नहीं है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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