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भूकंप आने से पहले एंड्रायड फोन करेगा अलर्ट, गूगल भारत में जल्द करेगा इसे रोलआउट

Earthquake Alert : जल्द ही आपके मोबाइल में ऐसी टेक्नोलॉजी आ जाएगी, जो आपको भूकंप आने से पहले अलर्ट कर दे. दरअसल टेक दिग्गज गूगल ने बुधवार को अपने एक ब्लॉग में इसकी जानकारी दी कि, वो जल्द ही भारतीय एंड्रॉयड यूजर्स को भूकंप अलर्ट सिस्टम देने वाली है और इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई हैं.

आपको बता दें भारत के ज्यादातर राज्य भूकंप क्षेत्र में आते हैं और घनी आबादी होने के चलते अगर यहां तेज गति का भूकंप आएगा तो जानमाल की बहुत हानी होगी. ऐसे में गूगल का भूकंप अलर्ट फीचर भारतीय एंड्रॉयड यूजर्स के बहुत काम आने वाला है. आइए जानते हैं गूगल अपने इस फीचर को एंड्रॉयड यूजर्स के लिए कब तक रोल आउट करेगा.

कब रोल आउट होगा ये फीचर?

गूगल एंड्रॉयड यूजर्स के लिए भूकंप अलर्ट सिस्टम जल्द ही लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, इसके लिए गूगल ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी और नेशनल सीस्मोलॉजी सेंटर से कंसल्ट कर रहा है. गूगल के ब्लॉग पोस्ट के अनुसार उसकी ये टेक्नोलॉजी भूकंप के झटके शुरू होने से पहले वार्निंग भेजने का काम करेगी. कंपनी के अनुसार, यह सेवा आने वाले सप्ताह में एंड्रॉयड 5 और उसके बाद के संस्करणों में उपलब्ध कराई जाएगी.

कैसे डिटेक्ट करेगा स्मार्टफोन

गूगल ने कहा यह सिस्टम आपके फोन को एक मिनी अर्थक्वेक डिटेक्टर में बदल देता है. भूकंप अलर्ट सिस्टम फोन में मौजूद एक्सेलेरोमीटर का सीस्मोग्राफ की तरह इस्तेमाल करता है. जब आपको फोन चार्जिंग पर ना लगा हो और हिल-डुल ना रहा हो, तो वो भूकंप के शुरुआती संकेतों को पहचान सकता है. अगर कई फोन एकसाथ भूकंप के झटके की पहचान करते हैं तो गूगल के सर्वर को पता लग जाएगा. 

Android Earthquake Alerts को कैसे ऑन करें 

फोन की सेटिंग्स में जाएं। फिर Safety & emergency पर टैप करें.
इसके बाद Earthquake alerts पर टैप करें.
अगर आपको Safety & emergency विकल्प न दिखे तो Location पर टैप कर Advanced पर जाएं. फिर Earthquake alerts पर टैप करें.
इसके बाद इस विकल्प को ऑन कर दें.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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