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Amitabh Bachchan Health Update: असहनीय दर्द से गुज़र रहे हैं अमिताभ बच्चन

Amitabh Bachchan Health Update: बिग बी अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) पिछले काफी दिनों से स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों को झेल रहे हैं. दरअसल फिल्म ‘प्रोजेक्ट K’ की शूटिंग के दौरान उनको पसलियों में काफी चोट लग गई थी. जिसके बाद से वो इलाज करा रहे हैं और इन दिनों आराम कर रहे हैं. लेकिन हाल ही में सदी के महानायक को एक और दर्दनाक समस्या ने घेर लिया है. इसका जिक्र खुद अमिताभ बच्चन ने दर्शकों के साथ अपने हाल ही के ब्लॉग में किया है. दरअसल अमिताभ बच्चन जिस नई परेशानी से जूझ रहे हैं बहुत से लोग इससे पीड़ित हैं और जरा सी लापरवाही से ये बेहद दर्दनाक परेशानी पैदा कर देती है.

पहले नहीं देखा ऐसा भयानक दर्द – अमिताभ बच्चन 

19 मार्च को अपने ब्लॉग के जरिए अमिताभ बच्चन ने जानकारी दी कि पसलियों का दर्द तो जारी ही है लेकिन पैर के पंजे की दिक्कत ने पसली से ज्यादा दर्द देना शुरू कर दिया है. ब्लॉग में उन्होंने लिखा कि, “ कैलस तो था ही उसके नीचे एक छाला भी हो गया है. जिसने परेशानी को और ज्यादा बढ़ा दिया है.’’ अमिताभ बच्चन ने अपनी परेशानी के बारे में बात करते हुए लिखा कि, “इसके लिए पैर को गुनगुने पानी में भी डुबोने का उपाय किया लेकिन ये भी बेअसर साबित हुआ. ऐसा भयानक दर्द जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा.”


क्या है कैलस ?

कॉर्न और कैलस स्किन का एक पैच होता है जो शरीर में कहीं भी बढ़ सकता है. लेकिन अधिकरतर मामलों में ये पैर के तलवे में ही देखा जाता है. कई बार ये खुरदुरा पैच होता है तो कई बार ये गांठ की तरह होता है. इसे आम भाषा में कील या गांठ भी करते हैं. अमूमन ये पेनलेस होते हैं लेकिन अगर इन्फेक्शन हो जाए तो ये बेहद दर्दनाक होता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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