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‘मास्टरपीस, एक्शन लाइक हॉलीवुड’, रिलीज से पहले पढ़िए अजय देवगन की ‘भोला’ का ट्विटर रिव्यू

Ajay Devgn Bholaa Review: बीते साल फिल्म ‘दृश्यम 2’ (Drishyam) की अपार सफलता के बाद बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन (Ajay Devgn)  और एक्ट्रेस तब्बू (Tabu)  फिल्म ‘भोला’  लेकर आ रहे हैं. 30 मार्च यानी कल ‘भोला’ (Bholaa) को सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा. इस फिल्म को लेकर फैंस के अंदर एक तगड़ा हाइप बना हुआ है. इस बीच जिन लोगों ने ‘भोला’ के प्री रिलीज शो देख लिए हैं, अब उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर अपनी रिएक्शन देने शुरू कर दिए हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या कहता है फिल्म ‘भोला’ का ट्विटर रिव्यू. 

जानिए ‘भोला’ का ट्विटर रिव्यू

अजय देवगन फिल्म ‘भोला’ को लेकर काफी एक्साइटेड हैं. बतौर एक्टर और डायरेक्टर अजय ने इस फिल्म पर काफी मेहनत की है. इस बीच रिलीज से पहले जिन लोगों ने इस फिल्म ‘भोला’ प्रेस शो में देख लिया है उनके ट्विटर पर लगातार रिएक्शन आ रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट कर लिखा है कि- ‘भोला एक जबरदस्त फिल्म है, जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी. वह भोला नहीं है, वह बहुत चालाक है भाई, बहुत चालाक, बहुत बढ़िया है, तब्बू शानदार है. इसे जरूर देखना चाहिए, मैंने प्रेस शो में देखा और फिर से देखूंगा.’ इसके अलावा तमाम फैंस भी फिल्म ‘भोला’ को लेकर अपने-अपने रिएक्शन दे रहे हैं. 

फैंस ने दिए ऐसे रिएक्शन

अजय देवगन (Ajay Devgn) स्टारर फिल्म ‘भोला’ को लेकर एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि- ‘स्पेशल स्क्रीनिंग शो भोला का, एक शब्द मास्टरपीस फिल्म, आउट ऑफ वर्ल्ड, एक्शन लाइक हॉलीवुड.’ दूसरे ट्विटर यूजर ने ट्वीट कर लिखा है कि- ‘जो भी हो भोला के एक-एक सीन को देखने को बाद थिएटर में लोगों ने जमकर सीटियां बजाई हैं.’ इस तरह से तमाम लोग फिल्म ‘भोला (Bholaa)’ को लेकर अपने-अपने रिव्यू दे रहे हैं. मालूम हो अजय देवगन की फिल्म ‘भोला’ साउथ सिनेमा की सुपरहिट फिल्म ‘कैथी’ का ऑफिशियल रीमेक है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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