टैकनोलजी

मस्क और जुकरबर्ग के बीच फाइट का महामुकाबला X पर देख सकेंगे लाइव, केज फाइट का दिखेगा रोमांच

दो दिग्गज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) और और एक्स (पूर्व ट्विटर) के एलन मस्क के बीच प्रस्तावित केज फाइट (पिंजरे की लड़ाई) को यूजर्स लाइव देख सकेंगे. एलन मस्क (Elon Musk) ने इस बारे में अनाउंस करते हुए बताया कि एक्स पर इसका लाइव-स्ट्रीम किया जाएगा. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक,

आय को दान में दे दिया जाएगा

खबर के मुताबिक, एलन मस्क ने रविवार की सुबह एक्स पर एक पोस्ट में बिना कोई और डिटेश शेयर किए बिना कहा,- जुक बनाम मस्क फाइट (Elon Musk cage fight with Mark Zuckerberg) को एक्स पर लाइव-स्ट्रीम किया जाएगा. इससे होने वाली आय को दान में दे दिया जाएगा. इससे पहले रविवार को, मस्क ने एक्स पर कहा था कि वह दिन भर वजन उठा रहे थे, फाइट की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उनके पास वर्कआउट करने का समय नहीं था इसलिए वे काम पर वजन लाते हैं.

यूजर को मस्क ने कही ये बात 

जब एक्स पर एक यूजर्स ने मस्क से लड़ाई का मुद्दा पूछा, तो मस्क ने जवाब देते हुए कहा, यह फाइट का एक सभ्य रूप है. पुरुषों को युद्ध पसंद है. मेटा ने मस्क की पोस्ट पर कमेंट के लिए जवाब नहीं मिला. यह विवाद तब शुरू हुआ जब मस्क ने 20 जून की पोस्ट में कहा कि वह जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) के साथ केज मैच के लिए तैयार थे, जो जिउजित्सु में ट्रेंड हैं.

जुकरबर्ग ने जीते गए मैचों की फोटो पोस्ट की

एक दिन बाद, 39 साल के जुकरबर्ग, जिन्होंने अपनी कंपनी के इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर जीते गए मैचों की फोटो पोस्ट की हैं, ने 51 साल मस्क से प्रस्तावित थ्रोडाउन के लिए स्थान भेजने के लिए कहा कि जिस पर एक का संदर्भ देते हुए मस्क (Elon Musk) ने जवाब दिया वेगास ऑक्टागन. इवेंट सेंटर जहां मिक्स्ड मार्शल आर्ट (एमएमए) चैंपियनशिप मुकाबले आयोजित किए जाते हैं. मस्क ने तब कहा कि अगर पिंजरे की लड़ाई आकार लेती है तो वह ट्रेनिंग शुरू करेंगे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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