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Delhi Metro के अंडर ग्राउंड स्टेशनों में भी जल्द आपको मिलेगा हाईस्पीड 5G इंटरनेट

5G connectivity At Delhi Metro: दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) अपने सभी अंडर ग्राउंड स्टेशनों में यात्रियों को 5G कनेक्टिविटी देने पर काम कर रहा है. जल्द आपको जमीन के नीचे भी हाईस्पीड 5G डेटा का लाभ मिलेगा. साथ ही आप बिना किसी रूकावट के कॉल्स को भी अटेंड कर पाएंगे. दिल्ली मेट्रो के कुल स्टेशंस में से 69 मेट्रो स्टेशन अंडरग्राउंड हैं जिसमें से DMRC ने 29 मेट्रो स्टेशनों को 5G कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अपग्रेड कर दिया है.

इस लाइन में सबसे ज्यादा अंडरग्राउंड स्टेशन 

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, डीएमआरसी के 390.1 किलोमीटर लंबे नेटवर्क में से लगभग 102.4 किलोमीटर लंबा हिस्सा अंडरग्राउंड है. सबसे ज्यादा अंडरग्राउंड स्टेशन येलो लाइन पर हैं. इसके बाद पिंक लाइन, मैजेंटा लाइन और वायलेट लाइन है. DMRC सभी स्टेशनों में 5G नेटवर्क उपलब्ध कराने के लिए केबल और अन्य बुनियादी ढांचे को स्थापित करने में भारती एंटरप्राइजेज के एयरटेल , RIL के Jio और Vodafone Idea या Vi की मदद ले रहा है. देश के तीनों बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर DMRC के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, अंडरग्राउंड स्टेशनों में केबल बिछाने का काम अगले 4 से 5 महीने में हो जाएगा. यानि 2024 से सभी अंडरग्राउंड स्टेशंस में लोगों को 5G नेटवर्क मिलेंगे. DMRC 5G कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए मेट्रो स्टेशनों पर इन-बिल्डिंग सॉल्यूशंस/ IBS जैसे टेलीकॉम उपकरणों का उपयोग कर रहा है और लगभग 100 मीटर के क्षेत्र में सिग्नल की शक्ति और कवरेज को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए छोटे सेल या रिपीटर्स का भी उपयोग कर रहा है जिससे यात्रियों को कॉलिंग या डेटा यूज करने में दिक्कत न आए.  

फिलहाल देश में जियो और एयरटेल 5G नेटवर्क लॉन्च कर चुके हैं और दोनों ही टेलीकॉम कंपनियों ने देश के अधिकतर शहर हाईस्पीड 5G कनेक्टिविटी के तहत कवर भी कर लिए हैं

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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