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YouTube Shorts में दिखें किसी मसालेदार कमेंट पर अब व्यूअर्स भी बना सकते हैं वीडियो

Viewer Created Shorts Feature: यूट्यूब पर पहले लॉन्ग कंटेंट खूब पसंद किया जाता था लेकिन अब 30 सेकंड के रील यानि shorts को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. अब लोग shorts बनाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और व्यूअर्स को भी ये अच्छा लग रहा है. अगर आप यूट्यूब पर खूब शॉर्ट्स देखते हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, अब व्यूअर्स भी शॉर्ट्स वीडियो के जरिए अपनी खुद की वीडियो बना सकते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कैसे तो इस बारे में जानिए.

ये है नया फीचर 

दरअसल, यूट्यूब एक नए फीचर पर काम कर रहा है जिसका नाम Viewer-created Shorts है. इसमें व्यूअर्स किसी शॉर्ट्स वीडियो के कमेंट का इस्तेमाल करते हुए खुद की वीडियो उसपर बना सकते हैं. यानि अगर आपको किसी शॉर्ट्स में ऐसा कमेंट मिल जाता है जिसपर अच्छी वीडियो बनाई जा सकती है तो आप इसे लेकर शॉर्ट्स वीडियो बना सकते हैं. ये वीडियो आपके चैनल के होम पेज पर दिखेगी. साथ ही शॉर्ट्स में भी औरों को नजर आएगी. इस फीचर की अच्छी बात ये है कि आपके द्वारा बनाई गई वीडियो शॉर्ट्स के क्रिएटर (यानि जिस वीडियो से आपको आइडिया मिला) और ऑथर (जिस कमेंट से अपने वीडियो बनाई) को नहीं दिखेगी और न ही वे इसे हटा पाएंगे. यदि कोई क्रिएटर नहीं चाहता कि उसकी शॉर्ट्स वीडियो से कोई दूसरा वीडियो बनाए तो इसके लिए उसे कमेंट्स को वीडियो में ऑफ करना होगा.

ध्यान दें, फ़िलहाल ये फीचर टेस्टिंग मोड में है. जरुरी नहीं है कि कंपनी इसे मास लेवल पर रोलआउट करें. इस फीचर का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्लेटफॉर्म पर लाना है.

इन 2 फीचर पर भी चल रहा काम 

यूट्यूब ने इससे पहले घोषणा की थी कि वह एक नई सुविधा का परीक्षण कर रहा है जो यूजर्स को वीडियो देखते समय प्लेयर पर कहीं भी लंबे समय तक प्रेस करने की अनुमति देता है ताकि प्लेबैक स्पीड स्वचालित रूप से 2x हो जाए और वीडियो तेजी से आगे बड़े. अभी तक हमे मैनुअली ये काम करना पड़ता है. इसके अलावा कंपनी एक दूसरे फीचर पर भी काम कर रही है जो यूजर्स को वीडियो को seek करते समय बड़ा प्रीव्यू दिखाएगा ताकि आपको वीडियो में सटीक क्षण मिल पाए जिसे आप ढूंढ रहे हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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