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X (Twitter) में आया नया PassKey फीचर, अब ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा यूजर्स का अकाउंट

Twitter: एक्स (जिसे पहले ट्विटर नाम से जाना जाता था) में एक नया फीचर रोलआउट किया जा रहा है. इस फीचर का नाम पासकीय (PassKey) है. इस फीचर की मदद से इस माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के यूजर्स का अकाउंट पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा. आइए हम आपको इस फीचर के बारे में तमाम डिटेल बताते हैं.

X में आया नया फीचर

दरअसल, पासकीय फीचर के जरिए यूजर्स को अपने अकाउंट में लॉगिन करना ज्यादा आसान हो जाएगा. कंपनी का मानना है कि यह पासवर्ड से भी ज्यादा सुरक्षित है, और इसमें यूजर्स के अकाउंट को हैक करना ज्यादा मुश्किल हो जाएगा. अगर आप अपने एक ही एक्स अकाउंट को स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप या अलग-अलग डिवाइस में लॉगिन करेंगे तो पासकीय फीचर आपसे फेस आइडी, टच आईडी या पिन आईडी मांगता है. इसका मतलब है कि अगर आपको पासवर्ड याद नहीं है फिर भी आप अपने अकाउंट में लॉगिन कर पाएंगे.

व्हाट्सऐप की तरह करेगा काम

यह टिक उसी तरह काम करता है जैसा कि व्हाट्सऐप में फिंगरप्रिंट सेंसर करता है. व्हाट्सऐप में मौजूद फिंगरप्रिंट सेंसर को एक्टिवेट करने के बाद यूजर्स को अपना व्हाट्सऐप अकाउंट करने के लिए पासवर्ड नहीं बल्कि अपने फिंगरप्रिंट को टच  करना होता है. ऐसे ही एक्स (ट्विटर) में भी यूजर्स को लॉगिन करने के लिए पासवर्ड के अलावा फेस आईडी, टच आईडी या पिन का इस्तेमाल करने का विकल्प मिलेगा. इससे यूजर्स को पासवर्ड याद रखने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी, और कोई दूसरा व्यक्ति अकाउंट खोल भी नहीं पाएगा.

पहले से ज्यादा सुरक्षित होगा अकाउंट

इसके अलावा अगर आप एक्स को वेब वर्जन में खोलना चाहते हैं तो पासकीय के जरिए आपको दो प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा. पहली प्रक्रिया आपके एक्स अकाउंट में होगी, और दूसरी आपके उस डिवाइस में, जिसमें आप वेब वर्ज़न यूज करना चाहते हैं. ये भी बिल्कुल व्हाट्सऐप वेब में लॉगिन करने जैसा फीचर है. एक्स ने अपने इस नए सिक्योरिटी फीचर को फिलहाल सिर्फ आईफोन यूजर्स के लिए रोलआउट किया है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस फीचर को कंपनी एंड्रॉयड और डेक्सटॉप यूज़र्स के लिए भी पेश कर देगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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