बॉलीवुड और मनोरंजन

‘ऐसी चीज जो करीना के पास है, आपके पास नहीं’- रानी ने दिया था ऐसा जवाब बेबो रह गई थीं शॉक्ड

Rani Mukerji Shocking Revelation: रानी मुखर्जी फिलहाल फिल्मों से दूर चल रही हों, लेकिन जल्द ही उन्हें ‘मर्दानी 3’ में देखा जाएगा. रानी मुखर्जी ने एक से बढ़कर एक हिट फिल्म में काम करके साबित किया है कि वे ही बॉलीवुड की रियल क्वीन हैं. रानी सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं हैं, पर उनके फैन्स उनके बारे में छोटी सी छोटी डिटेल जानने को बेताब रहते हैं. रानी बॉलीवुड की क्वीन होने के अलावा असल जिंदगी में भी मर्दानी हैं. वे अपने बेबाक नेचर के लिए जनि जाती हैं. जब एक बार रानी से पूछा गया कि ऐसी कौन सी चीज है जो उनके पास है, लेकिन करीना के पास नहीं? इस सवाल पर रानी ने तुरंत शाहिद कपूर का नाम लिया था.

यशराज की कई फिल्मों में नजर आई हैं रानी 
इसके बाद जब रानी से पूछा गया कि आपके पास ऐसा क्या है जो करीना के पास नहीं है. इस पर रानी सोच में पड़ जाती हैं, लेकिन करीना झट से जवाब देते हुए कहती हैं ‘यश चोपड़ा’. गौरतलब है कि रानी मुखर्जी यशराज प्रोडक्शन की कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं. रानी यशराज बैनर की ‘वीर-जारा’, ‘हम-तुम’, ‘बंटी और बबली’, ‘मुझसे दोस्ती करोगे’, ‘साथिया’ और ‘लागा चुनरी में दाग’ जैसी फिल्मों में नजर आई हैं. इसके साथ ही आज वे आदित्य चोपड़ा से शादी कर चोपड़ा खानदान की बहू भी बन गई हैं. बता दें रानी और करीना ने यह शॉकिंग खुलासा तब किया था, जब सालों पहले दोनों साथ करण जौहर के शो ‘कॉफ़ी विद करण’ में गई थीं. 

‘बंटी और बबली 2’ थी आखिरी फिल्म 
बात करें रानी के वर्क फ्रंट की तो वे जल्द ही ‘मर्दानी 3’ में देखी जाएंगी. आखिरी बार रानी मुखर्जी को सैफ अली खान, सिद्धांत चतुर्वेदी और शरवरी वाघ के साथ ‘बंटी और बबली 2’ में देखा गया था. जहां बंटी और बबली सुपरहिट थी, वहीं यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई. रानी मुखर्जी आज की डेट में आदित्य चोपड़ा और अपनी बेटी आदिरा के साथ एक खुशहाल जिंदगी जी रही हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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