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रामायण में कैकेयी बनने पर लारा दत्ता ने तोड़ी चुप्पी

बॉलीवुड स्टार रणबीर कपूर की फिल्म रामायण इन दिनों चर्चा में हैं। हाल ही में इस फिल्म की शूटिंग शुरू हुई है। बीते दिनों फिल्म रामायण के सेट से कुछ तस्वीरें सामने आई थीं, जिन्हें देख फैंस गदगद हो गए थे। इन फोटोज में रणबीर कपूर भगवान राम के रूप में नजर आ रहे थे। वहीं साई पल्लवी, माता सीता के लुक में दिखाई दी थीं। कुछ दिनों पहले ये खबर सामने आई थी कि बॉलीवुड एक्ट्रेस लारा दत्ता इस मूवी में कैकेयी का किरदार निभाने वाली हैं। इस विषय पर अब एक्ट्रेस लारा दत्ता ने खुद रिएक्ट किया है।

लारा दत्ता ने कही ये बात

एंटरटेनमेंट (Entertainment News) वर्ल्ड में इन दिनों नितेश तिवारी की रामायण की चर्चा हो रही है। इस फिल्म को देखने के बाद लोग काफी ज्यादा एक्साइटेड हैं। बता दें कि आए दिन फिल्म को लेकर कोई न कोई नया अपडेट सामने आ रहा है। इस बीच कैकेयी बनने पर लारा दत्ता ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। लारा दत्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में में कहा, ‘काफी दिनों से मै भी ये बातें सुन रही हैं। इन अफवाहों को सुनना और पढ़ना काफी अच्छा लग रहा है। वैसे कौन रामायण का हिस्सा नहीं बनना चाहता है। इस फिल्म मैं मंदरोदरी या सूर्पनखा का रोल निभाने के लिए भी तैयार हो जाती है।’ Also Read – रणबीर कपूर की रामायण में इस चाइल्ड एक्ट्रेस ने मारी धांसू एंट्री, मिला माता सीता से जुड़ा ये रोल

कब रिलीज होगी रामायण

बताते चलें कि रणबीर कपूर की फिल्म रामायण साल 2025 में दिवाली के मौके पर बड़े पर्दे पर रिलीज होगी। फैंस इस मूवी को देखने के लिए बेहद एक्साइटेड हैं। बीते साल प्रभास की मूवी आदिपुरुष सामने आई थी, जिसे लोगों ने कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं दिया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई। अब देखना ये दिलचस्प होगा कि रणबीर कपूर की फिल्म रामायण को लोग कैसा रिस्पॉन्स देते हैं। इसपर आपकी क्या राय है हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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