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मोबाइल पासवर्ड पता होने के बावजूद दोस्त नहीं खोल पाएंगे आपकी सीक्रेट चैट्स, आया ये नया फीचर

 Hide locked chats: वॉट्सऐप ने कुछ समय पहले भारत में चैट लॉक फीचर लाइव किया था. इसके तहत आप अपनी पर्सनल चैट्स को एक फोल्डर में लॉक कर के रख सकते हैं. लॉक करने के बाद इन्हें केवल फिंगरप्रिंट के माध्यम से खोला जा सकता है. हालांकि इस फीचर के साथ एक परेशानी ये थी कि अगर आपने मोबाइल में किसी दोस्त या परिवार के व्यक्ति का फिंगरप्रिंट लॉक ऐड किया हुआ है तो वे भी आपके वॉट्सऐप सीक्रेट चैट्स को देख सकते हैं. इस परेशानी को खत्म करने के लिए वॉट्सऐप ने एक नया सीक्रेट कोड फीचर जारी किया है. इसकी मदद आप अपने लॉक्ड चैट्स के लिए फिंगरप्रिंट के अलावा एक दूसरा टेक्स्ट पासवर्ड सेट कर सकते हैं.

किसी को नहीं दिखेगा आपका लॉक्ड फोल्डर 

नए अपडेट में कंपनी ने यूजर्स को एक सुविधा ये दी है कि वे अपने लॉक्ड फोल्डर को वॉट्सऐप के सर्च बार में पासवर्ड डालकर एक्सेस कर सकते हैं. यानि लॉक्ड चैट फोल्डर अभी की तरह टॉप में नहीं दिखाई देगा, आप इसे एक तरीके से हाइड कर पाएंगे. इसके अलावा अब आपको किसी चैट को लॉक करने के लिए हर बार प्रोफाइल में जाने की जरूरत नहीं है. अब आप बाहर से ही चैट को देर तक प्रेस कर ये काम कर सकते हैं.

इस तरह लॉक फोल्डर को कर पाएंगे हाइड 

अपनी सीक्रेट चैट्स को छिपाने के लिए आपको लॉक्ड फोल्डर में जाना होगा. यहां आपको राइट साइड में 3 डॉट दिखेंगे जिसमें से एक ऑप्शन ‘हाइड चैट लॉक फोल्डर’ का होगा. जैसे ही आप इसे ऑन करेंगे आपकी लॉक्ड चैट्स वॉट्सऐप से गायब हो जाएंगी. इन्हें एक्सेस करने के लिए आपको सर्च बार अपना पासवर्ड दर्ज करना होगा.

ध्यान दें, कंपनी इस अपडेट को फेज मैनर में रिलीज कर रही है. हो सकता है अभी आपको ये अपडेट न मिला हो. धीरे-धीरे सभी यूजर्स को ये नया अपडेट मिलने लगेगा. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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