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फिल्ममेकर कुलजीत पाल का निधन, बॉलीवुड में दौड़ी शोक की लहर

kuljit Pal Died: बॉलीवुड इंडस्ट्री से एक बुरी खबर सामने आई है। इंडस्ट्री जाने माने फिल्म निर्माता कुलजीत पाल का निधन हो गया है। कुलजीत को बीते दिन यानी 24 जून को हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। इस खबरे के सामने आने के बाद से ही इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। बता दें कि काफी लंबे समय से कुलजीत पाल बीमार थे। कुलजीत पाल के मैनेजर ने मीडिया से बातचीत करते हुए उनकी मौत की पुष्टि की है। मैनेजर ने बताया कि कुलजीतजी को दिल का दौरा पड़ा था। वो कुछ समय से ठीक भी नहीं थे। Also Read – 1920 Horrors of the Heart Box office Day 2: अविका गौर की फिल्म ने दूसरे दिन की बंपर कमाई, कमाए इतने करोड़

हार्ट अटैक से हुई कुलजीत पाल की मौत

रिपोर्ट्स की मानें तो कुलजीत पाल का अंतिम संस्कार जल्द ही किया जाएगा। मालूम हो कि कुलजीत पाल ने अर्थ, आज, परमात्मा, वासना, दो शिकारी और आशियाना जैसी कई फिल्मों को प्रोड्यूस किया था। इसके साथ ही कुलजीत ने कई सितारों की किस्मत भी चमकाई थी। इस लिस्ट में सबसे टॉप पर रेखा का नाम आता है। कुलजीत ने एक्ट्रेस रेखा को फिल्मों में ब्रेक दिया था। लेकिन फिर उनका प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। इसके अलावा कुलजीत ने अक्षय कुमार का नाम रखा था। फिल्म में आज में राजीव भाटिया यानी अक्षय ने मार्शल आर्ट ट्रेनर की भूमिका निभाई थी। हालांकि, रिलीज के बाद फिल्म में केवल उनकी पीठ ही दिखाई दी। इससे राजीव भाटिया काफी नाराज हो गए थे। इसी के बाद राजीव भाटिया ने अपना नाम अक्षय कुमार कर लिया था।

कुलजीत पाल की मौत से शोक में है बॉलीवुड इंडस्ट्री

बताते चलें कि कुलजीत पाल को फैंस समेत बॉलीवुड के कई सितारे नम आखों से श्रद्धाजंलि दे रहे हैं। मीडिया रिपोट्स की मानें तो उनकी आत्मा की शांति के लिए 29 जून को शाम पांच से छह बजे के बीच प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा। Also Read – Gum Hai Kisi Ke Pyar Mein: भीमा के बदले चव्हाण परिवार की जान मांगेगी गीतांजली, मौत के करीब पहुंच जाएगी सई

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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