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‘गणपत’ की कमाई में दूसरे दिन आया जबरदस्त उछाल

Ankita Lokhande And Vicky Jain Fight: सलमान खान (Salman Khan) के फेमस कंट्रोवर्शियल शो ‘बिग बॉस 17’ (Bigg Boss 17) में काफी हंगामा देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां विक्की जैन (Vicky Jain) और नील भट्ट में तनातनी देखने को मिल रही है तो वहीं अंकिता संग विक्की का रिश्ता भी कुछ खास नहीं चल रहा है। अंकिता और विक्की ने जब से बिग बॉस के घर में कदम रखा है, तब से दोनों के रिश्ते के बीच खटास पैदा हो गई है। अंकिता विक्की पर बार- बार यह आरोप लगाती हैं कि वह उन्हें टाइम नहीं देते। अब हाल ही में बिग बॉस 17 से एक नया प्रोमो वीडियो सामने आया है, जिसमें अंकिता के आरोपों को सुन- सुनकर विक्की चिड़चिड़े हो गए हैं।

अंकिता पर भड़के विक्की जैन

‘बिग बॉस 17’ के इस नए प्रोमो वीडियो में देखा जा सकता है कि अंकिता लोखंडे और विक्की जैन पूल एरिया के पास काफी दूर-दूर बैठे हैं। इस दौरान विक्की कहते हैं कि पता था मुझे यही होगा यहां आकर। जिस पर अंकिता कहती हैं, ‘क्या?’ तभी विक्की कहते हैं, ‘यही जो हो रहा है यहां।’ इस पर अंकिता कहती हैं, ‘मैं तो तुझे प्यार से बोला आजा यहां।’ इस पर विक्की कहते हैं कि मैं तो हूं ही यहां। विक्की की बात सुन अंकिता भड़क जाती हैं और कहती हैं कि तो फिर जाओ, मैं तो आराम से बैठी हूं यहां। अच्छा लग रहा है मुझे। इस पर विक्की कहते हैं, ‘तुझे जो चीज अच्छी लगती है ना वो उस परिस्थिति में ठीक नहीं होती।’

विक्की की बात सुन अंकिता कहती हैं, ‘तू करता है सबके साथ एंजॉय बहुत अच्छी बात है। बन गए हैं सब तेरे दोस्त यह अच्छी बात है।’ अंकिता की बातों से विक्की चिढ़ जाते हैं और कहते हैं कि तुझे तो पता है, मैं पहले दिन से ही ऐसा हूं, जबसे तू मिली है। इस पर अंकिता कहती हैं, ‘लेकिन इतना अवाइड नहीं करता था तू मुझे, जितना अब करने लगा है।’ विक्की गुस्से में अंकिता से कहते हैं कि अवाइड तू समझ रही है ना कि तू क्या शब्द इस्तेमाल कर रही है। जिस पर अंकिता कहती हैं, ‘तू सबके साथ रहता है मेरे साथ नहीं रहता।’ फिर विक्की कहते हैं, ‘मतलब मैं सबके साथ ना रहूं केवल तेरे साथ रहूं। फिर हम यहां आए ही क्यों थे। घर पर रहते ना।’

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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