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Threads में X(ट्विटर) की तरह मिलने वाला है ये ऑप्शन, अब टॉपिक सर्च करना हो जाएगा आसान

Threads Keyword Search Feature: मेटा ने थ्रेड्स ऐप को जुलाई में लॉन्च किया था. शुरुआत में अच्छा परफॉर्म करने के बाद ऐप का ट्रैफिक लगातार कम हुआ है. यूजरबेस को बढ़ाने के लिए कंपनी समय-समय पर ऐप में नए फीचर जोड़ रही है. इस बीच, कंपनी ‘कीवर्ड सर्च’ फीचर पर काम कर रही है जो फिलहाल सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के यूजर्स के लिए लाइव किया गया है. इस फीचर के जरिए यूजर्स किसी भी टॉपिक को आसानी से सर्च कर सकते हैं. ये ठीक ट्विटर पर मौजूद सर्च फीचर की तरह है.

इंस्टाग्राम के सीईओ एडम मोसेरी ने कहा कि जल्द वे इस फीचर को दूसरे देशों में भी लाइव करेंगे. वहीं, मेटा के सीईओ मार्क ज़ुकेरबर्ग ने थ्रेड्स में एक पोस्ट शेयर कर लिखा कि “उत्साहित हो जाइए – थ्रेड्स पर सर्च कीवर्ड फीचर आ रहा है” उन्होंने फास्ट एंड फ्यूरियस फिल्मों के विन डीज़ल का एक GIF भी जोड़ा जिसमें लिखा था “मुझे यकीन है कि आप इसका आनंद लेंगे”

हाल ही में लाइव हुआ है वेब वर्जन 

थ्रेड्स का वेब वर्जन कंपनी ने कुछ समय पहले ही लाइव किया है. वेब वर्जन को एक्सेस करने के लिए आपको पर जाना होगा. वेब वर्जन में भी अभी ज्यादा फीचर्स नहीं है. यहां आप डार्क और नॉमल मोड के बीच स्विच कर सकते हैं. कुछ समय पहले मेटा ने थ्रेड्स ऐप में Following Tab, रिपोस्ट और थ्रेड पोस्ट को इंस्टाग्राम डीएम में शेयर करने का ऑप्शन दिया है. बता दें, कंपनी ऐप का यूजबेस बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन इसके बावजूद लोगों को ये ऐप पसंद नहीं आ रहा है.  

थ्रेड्स के अलावा ट्विटर में भी जल्द यूजर्स को नए फीचर्स मिलने वाले हैं. जल्द आप ऐप में वीडियो और वॉइस कॉल कर पाएंगे. इसके लिए आपको नंबर शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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