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‘कहानी से लेकर एक्टिंग तक सब दमदार’, लोगों को खूब पसंद आ रही वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’

The Railway Men Twitter Review : वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ (The Railway Men) का लोगों का बेसब्री से इंतजार था। फाइनली ये वेब सीरीज 18 नवंबर यानी शनिवार को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो चुकी है। वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ भोपाल गैस त्रासदी पर बेस्ड है। इस वेब सीरीज को लोगों ने देखकर ट्विटर अपना रिएक्शन दिया है। ट्विटर रिएक्शन से पता चला रहा है कि वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ लोगों का पसंद आ रही है। लोगों को वेब सीरीज की कहानी से लेकर कलाकारों की अदाकारी सब पसंद आ रही है। वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ में केके मेनन, बाबिल खान, दिव्येंदु, आर माधवन, सनी हिंदुजा जैसे बेहतरीन कलाकार नजर आ रहे हैं। Also Read – The Railway Men: Bhopal Gas Tragedy पर बन रही वेब सीरीज में दिखेंगे बाबिल खान, आर. माधवन, केके मेनन और दिव्येंदु शर्मा

वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ को लेकर रिएक्शन

नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। लोगों ने ट्विटर के जरिए वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ की जमकर तारीफ की है। लोगों ने कहानी से लेकर एक्टिंग तक सबको अच्छा बताया है। यहां पर वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ को लेकर किए गए ट्वीट हैं जिन्हें आप देख सकते हैं।

भोपाल गैस त्रासदी पर बनी है वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’

गौरतलब है कि 3 दिसंबर, 1984 को मध्य प्रदेश की राजधानी में अमेरिकन केमिकल कम्पनी यूनियन कार्बाइड से जहरीली गैस लीक हो गई थी। इस जहरीली गैस लीक होने से कई हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई। वहीं, तमाम लोगों को अपंग और अंधे हो गए थे। इसे भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘द रेलवे मैन’ में इसी भोपाल गैस त्रासदी पर बनाई गई है।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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