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पैपराजी को देखते ही चेहरा छिपाने लगीं उर्फी जावेद, बोलीं- ‘तुम लोगों की वजह से…’

टीवी एक्ट्रेस और बिग बॉस ओटीटी फेम उर्फी जावेद के देखते ही पैपराजी के कैमरे एक्टिव हो जाते हैं। उर्फी जावेद की तस्वीरें और वीडियो क्लिक करने के लिए पैपराजी हमेशा बेकरार रहते हैं। उर्फी जावेद हाल ही मायानगरी यानी मुंबई में पब्लिक प्लेस पर स्पॉट हुईं और उन्होंने पैपराजी के कैमरे से बचने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुईं। उर्फी जावेद का लेटेस्ट वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिस पर फैंस रिएक्शन दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर उर्फी जावेद पैपराजी के कैमरे से क्यों बचना चाहती थीं।

उर्फी जावेद का वीडियो हुआ वायरल

सेलिब्रटी फोटोग्राफर वरिंदर चावला ने शुक्रवार अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि उर्फी जावेद मार्केट में नजर आ रही हैं और उन्होंने सलवार सूट पहना हुआ था। उर्फी जावेद को देखते ही पैपराजी उनकी तरफ बढ़े और कैमरे में कैद करने लगे। इस पर उर्फी जावेद कैमरे में कैद होने से बचने के लिए दुपट्टे से चेहरा ढकने लगती हैं। पैपराजी उर्फी जावेद से कहते हैं, ‘आप अच्छी लग रही हो।’ उर्फी जावेद कहती हैं, ‘अच्छी नहीं लग रही हूं। मेरी तबियत खराब है और तुम लोगों के चक्कर में मेरी तबियत खराब रहती है।’ इसके बाद उर्फी जावेद एक शॉप में चली जाती हैं। उर्फी जावेद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर लोग रिएक्शन दे रहे हैं। Also Read – उर्फी जावेद ने अंडे से तैयार किया आउटफिट, वीडियो देख लोग बोले- ‘बाहर मत जाना वरना…’

उर्फी जावेद के वीडियो पर आए रिएक्शन

उर्फी जावेद के वीडियो पर उनके फैंस और ट्रोल्स ने कमेंट किए हैं। उर्फी जावेद के एक फैन ने लिखा है, ‘आप हमेशा अच्छी लगती हैं।’ एक फैन ने लिखा है, ‘उर्फी इन कपड़ों में काफी प्यारी लग रही हो।’ एक ट्रोल ने लिखा है, ‘इसको पूरे कपड़ों में शर्म लग रही है।’ एक ट्रोल ने लिखा है, ‘आज इसने पूरे कपड़े कैसे पहन लिए।’ इस तरह से उर्फी जावेद के वीडियो पर मिले-जुले रिएक्शन आए हैं। फिलहाल, उर्फी जावेद का लेटेस्ट वीडियो चर्चा में आ गया है। Also Read – सोफिया अंसारी ने अपने बर्थडे पर फैंस को कराया हुस्न का दीदार, वायरल हुई एक- एक तस्वीर

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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