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शाहरुख की ‘ओम शांति ओम’ नहीं बल्कि ये थी दीपिका की पहली फिल्म, ‘ऐश्वर्या’ से है खास कनेक्शन

Deepika Padukone Birthday: दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) बॉलीवुड इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेसेस में से एक हैं. वह पिछले 18 सालों से फिल्मों की दुनिया में एक्टिव हैं. उन्होंने सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरा है. आज यानी 5 जनवरी को दीपिका पादुकोण अपना बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं. इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसी बात बताते हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा.

‘ओम शांति ओम’ ने बना दिया सुपरस्टार
दीपिका पादुकोण ने शाहरुख खान की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था. इसमें उनकी जोड़ी किंग खान के साथ छा गई थी. 9 नवंबर, 2007 को रिलीज हुई ‘ओम शांति ओम’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई, जिसके बाद दीपिका पादुकोण रातोंरात सुपरस्टार बन गई थीं. ‘ओम शांति ओम’ दीपिका पादुकोण की पहली फिल्म बताई जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है. असल में उन्होंने एक साउथ फिल्म से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा था.

इस फिल्म से दीपिका ने की करियर की शुरुआत
‘ओम शांति ओम’ से ठीक एक साल पहले यानी 2006 में दीपिका पादुकोण कन्नड़ फिल्म ‘ऐश्वर्या’ में नजर आई थीं. इसमें एक्ट्रेस साउथ एक्टर उपेंद्र के साथ स्क्रीन शेयर किया था. इस मूवी का टाइटल बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या के नाम से मिलता है. ‘ऐश्वर्या’ फिल्म में दीपिका ने ऐश्वर्या नाम का किरदार निभाया था. उनकी एक्टिंग की तारीफ हुई थी, लेकिन उन्हें पॉपुलैरिटी नहीं मिली. इसके बाद दीपिका ने बॉलीवुड का रुख किया और आज वह जिस मुकाम पर हैं ये बात सभी को पता है.

दीपिका पादुकोण का वर्क फ्रंट
साल 2023 में दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ‘पठान’ (Pathaan) और फिर ‘जवान’ (Jawan) में नजर आईं. ‘पठान’ में उनका अच्छा खासा रोल था. जबकि ‘जवान’ में दीपिका ने कैमियो किया था. अब दीपिका पादुकोण बहुत जल्द ‘फाइटर’ (Fighter) मूवी में नजर आएंगी, जो इसी महीने सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है. इसके बाद दीपिका साउथ फिल्म ‘कल्कि 2898’ एडी में दिखेंगी. इस मूवी में प्रभास, कमल हासन और अमिताभ बच्चन अहम भूमिका में हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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