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WhatsApp पर दोस्तों को भेजना चाहते हैं सांता और मेरी क्रिसमस वाले स्टिकर तो जान लीजिए तरीका  

Christmas WhatsApp Sticker: दुनियाभर में महज 3 दिन बाद क्रिसमस और फिर कुछ दिन बाद न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाएगा. इस मौके पर सभी एक दूसरे को बधाई और आने वाले समय के लिए शुभकामनाएं देते हैं. जमाना डिजिटल है इसलिए सेलिब्रेशन ऑनलाइन भी किया जाता है. आजकल ज्यादातर लोग ऑनलाइन ही एक दूसरे को बधाई देते हैं. क्रिसमस पर भी सभी एक दूसरे को फोटो, वीडियो और GIF के जरिए बधाई देते हैं. आज हम आपको बधाई देने का एक नया और मजेदार तरीका यहां बता रहे हैं. ये तरीका डिफॉल्ट रूप से वॉट्सऐप में आता है लेकिन बेहद कम लोग इस फीचर का इस्तेमाल करते हैं. इसकी एक वजह है लिमिटेड स्टॉक का होना. 

दरअसल, हम आपको स्टिकर के जरिए एक दूसरे को बधाई देने का तरीका बताने वाले हैं. आप वॉट्सऐप स्टिकर के जरिए क्रिसमस और फिर न्यू ईयर की बधाई अपनों को नए तरीके से दे सकते हैं. वॉट्सऐप पर डिफॉल्ट रूप से कुछ ही स्टिकर कंपनी ने ऐड किए हैं. 

ऐसे डाउनलोड करें क्रिसमस और न्यू ईयर स्टिकर 

वॉट्सऐप पर सांता और मेरी क्रिसमस वाले स्टिकर भेजने के लिए आपको पहले गूगल प्ले स्टोर से इन स्टिकर पैक को डॉउनलोड करना होगा. आपको करना ये है कि गूगल प्लेस्टोर पर जाना है और वहां क्रिसमस और न्यू ईयर स्टिकर सर्च करने हैं. आपको ढेर सरे ऑप्शन मिलेंगे जिसमें से आप कोई सा भी बेस्ट चुन सकते हैं. डाउनलोड करने के बाद इस स्टिकर पैक को खोलें और ऐड टू वॉट्सऐप करें या वॉट्सऐप में जाकर भी आप ये काम कर सकते हैं. वॉट्सऐप में स्टिकर जोड़ने के लिए आपको प्लस का आइकॉन मिलेगा. यहां से आप नए स्टिकर किसी भी सब्जेक्ट पर इसी तरह जोड़ सकते हैं.

एकबार स्टिकर ऐड हो जाएं तो इन्हें आप किसी भी चैट में भेज सकते हैं.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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