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ISRO 2035 तक अंतरिक्ष में बनाएगा ‘भारत स्पेस स्टेशन’, चांद पर भारतीय को भेजने की ये है प्लानिंग

Bharat Space Station : चंद्रयान 3 की सफलता के बाद इसरो के हौसले बुलंद हैं. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए 2040 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रि भेजने की घोषण की. साथ ही उन्होंने बताया कि 2032 तक इसरो के निर्देशन में अंतरिक्ष में भारत अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की बात कही. 

चंद्रयान 3 से मिली प्रेरणा

भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करा कर इतिहास रचा है. आपको बता दें इस सफलता के बाद भारत दुनिया में वो चौथा राष्ट्र बन गया है, जिसने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई है, इससे पहले तीन देश और इसी तरह का कारनामा कर चुके हैं, लेकिन इन्होंने चांद के उत्तरी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी. वहीं भारत ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक रॉकेट भी लॉन्च किया है. साथ ही अंतरिक्ष मिशन के लिए अपने चालक दल को प्रशिक्षित करने के लिए जल्द ही इसरो ट्रायल शुरू करने वाला है.

‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ की योजना 

सरकारी बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि भारत  को अब नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का लक्ष्य रखना चाहिए, जिसमें 2035 तक ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है. इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, अंतरिक्ष विभाग मून एक्सप्लोरेशन के लिए एक रोडमैप विकसित करेगा. मोदी ने वैज्ञानिकों से शुक्र और मंगल ग्रह पर मिशन पर काम करने के लिए भी प्रेरित किया है. 

गगनयान के अंतिम लॉन्च से पहले ट्रायल 

इसरो के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने कहा कि गगनयान के फाइनल लॉन्च से पहले सिस्टम का परीक्षण करने के लिए तीन और टेस्ट फ्लाइट्स टीवी-डी2, टीवी-डी3 और टीवी-डी4 होंगी. इसरो ने हाल ही में कहा था, “फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की तैयारी चल रही है, जो क्रू एस्केप सिस्टम के प्रदर्शन को दर्शाता है.” पहली डेवलपमेंट फ्लाइट टेस्ट व्हीकल (टीवी-डी1) तैयारी के अंतिम चरण में है. टेस्ट व्हीकल एक सिंगल-स्टेज लिक्विड रॉकेट है जिसे इस अबॉर्ट मिशन के लिए विकसित किया गया है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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