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Zoom को मिला भारत में टेलीकॉम लाइसेंस, क्‍या जियो, एयरटेल और Vi को मिलेगी टक्‍कर?

Zoom Gets Telecom Licence: जियो-एयरटेल और VI भारत के तीन बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर हैं. विशेषकर टेलीकॉम इंडस्ट्री में जियो का दबदबा है. लेकिन अब तीनों कंपनियों को टफ कम्पटीशन देने के लिए मैदान में Zoom उतर चुका है. दरअसल, वेब कॉन्फ्रेंस कंपनी जूम वीडियो कम्युनिकेशंस को पैन-इंडिया टेलीकॉम लाइसेंस मिल चुका और अब कंपनी एंटरप्राइज कस्‍टमर्स को टेलीफोन सेवा प्रदान करेगी. US बेस्ड ये कंपनी लोगो को पहले से ही एप और वेब पर वीडियो और वॉइस कॉल की सेवा प्रदान करती है. अब कंपनी को डिपार्टमेंट और टेलिकम्युनिकेशन की तरफ से टेलिकॉम सेवाओं के लिए भी लाइसेंस मिल चुका है जिसमें नेशनल लॉन्ग डिस्टेंस और इंटरनेशनल लॉन्ग डिस्टेंस कॉल शामिल हैं.

इस लाइसेंस की मदद से कंपनी अपनी क्लाउड बेस्ड प्राइवेट ब्रांच एक्सचेंज (पीबीएक्स) सेवा ‘जूम फोन’ को एमएनसी और भारत में संचालित व्यवसायों को प्रदान करेगी. फिलहाल कंपनी 47 अलग-अलग देशो में ये सर्विस ऑफर करती है जिसमें ग्राहकों को फोन नंबर और अलग-अलग टैरिफ प्लान्स मिलते हैं. कंपनी का कहना है कि जूम फोन की मदद ने कंपनियां अपने कर्मचारियों के साथ बेहतर तरीके से काम कर सकती है और इससे ग्राहकों का एक्सपीरियंस भी बढ़ेगा. बता दें, प्राइवेट ब्रांच एक्सचेंज (पीबीएक्स) एक लोकल टेलीफोन एक्सचेंज के रूप में काम करता है कंपनियों को कॉन्फ्रेंस कॉल्स को मैनेज करने में मदद करता है.

कोविड काल में खूब यूज किया गया जूम 

जूम ऐप्लिकेशन कोरोना के दौरान स्कूली बच्चों, ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों और सरकारों ने भी अपने काम-काज के लिए इसका इस्तेमाल किया. जूम एप बड़ा ही यूजर फ्रेंडली है और आप आसनी से इसके जरिए कई लोगों के साथ मीटिंग्स कर सकते हैं. ज़ूम की बढ़ती पॉपुलैरिटी को देखकर ही बाद में वॉट्सऐप ने भी ग्रुप वीडियो कॉल का फीचर वॉट्सऐप पर और एनहान्स किया था. अब कंपनी को टेलिकॉम इंडस्ट्री का भी लाइसेंस मिल गया है जिसके बाद जूम की पॉपुलैरिटी और बढ़ेगी.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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