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सारा अली खान ने गुरुद्वारा में मत्था टेककर लिया आशीर्वाद, फैंस को दिखाई फोटोज़ की झलक

Sara Ali Khan Visits Gurudwara Bangla Sahib: बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान (Sara Ali Khan) को ट्रैवल का बहुत शौक है. वह अक्सर अपनी फैमिली या फिर फिल्म की टीम के साथ किसी ना किसी जगह पर घूमने के लिए निकल जाती हैं. इस बीच शुक्रवार को सारा अली खान दिल्ली पहुंचीं और वहां पर गुरुद्वारा बंगला साहिब में जाकर अपना मत्था टेका. इस दौरान की फोटोज एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर शेयर की हैं.

सारा ने गुरुद्वारा में टेका अपना मत्था

सारा अली खान इंस्टा स्टोरी पर फोटोज पोस्ट की है, जिसमें देखा जा सकता कि वह अपनी टीम के साथ पोज देती हुई नजर आ रही हैं. फोटो के बैकग्राउंड में गुरुद्वारा नजर आ रहा है. इस दौरान वह ट्रेडिशनल ड्रेस में दिख रही हैं. उन्होंने अपने सिर पर दुपट्टा डाला हुआ है. वहीं, सारा ने दूसरी फोटो गुरुद्वारा की सीढ़ियों पर खिंचवाई है. इसके अलावा सारा ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें टीम के लोग लंच करने करते हुए नजर आ रहे हैं.

गैसलाइट को मिले मिक्स रिव्यूज

मालूम हो कि सारा अली खान की लेटेस्ट फिल्म गैसलाइट डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर 31 मार्च को स्ट्रीम हुई है. इसमें उन्होंने विक्रांत मैसी और चित्रांगदा सिंह के साथ काम किया है. इस फिल्म को क्रिटिक्स और ऑडियंस से मिक्स रिव्यूज मिले हैं. 

सारा अली खान की अपकमिंग फिल्में

बताते चलें कि सारा अली खान (Sara Ali Khan) नई फिल्म ऐ वतन मेरे वतन अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होगी. इसके प्रोड्यूसर करण जौहर और कन्नन अय्यर डायरेक्टर हैं. बताया जा रहा है कि फिल्म की कहानी भारत छोड़ो आंदोलन पर आधारित है और इसमें सारा अली खान फ्रीडम फाइटर के किरदार में नजर आएंगी. इसके अलावा एक्ट्रेस के पास ‘मर्डर मुबारक’ और लक्ष्मण उतेकर की फिल्म है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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