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रील्स और पोस्ट देखने के लिए चुकाने होंगे पैसे? Instagram लाया नया फीचर

Instagram New Paid Feature: सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम लोगों के बीच काफी पॉपुलर है. कंपनी के पास 2 मिलियन से ज्यादा एक्टिव सब्सक्रिप्शन्स हैं. वहीं अब इंस्टाग्राम पर एक नया फीचर आ रहा है जिसमें आपको अपने फेवरेट कंटेंट क्रिएटर को फॉलो करने के लिए पैसे देने होंगे, जिसके चलते आप अपने फेवरेट कंटेट क्रिएटर को पेड सब्सक्रिप्शन के जरिए सपोर्ट कर सकेंगे. 

इंस्टाग्राम के इस नये फीचर का नाम सब्सक्रिप्शन स्टोरीज टीजर है, जिसमें नॉन-सब्सक्राइबर्स को कंटेंट क्रिएटर्स के कंटेंट को देखने के लिए पैसे चुकाने होंगे. दरअसल, इंस्टाग्राम पर यह फीचर क्रिएटर्स की स्टोरीज में ओनली सब्सक्राइबर कंटेंट दिखाता है. ऐसे में ये कंटेट नॉन-सब्सक्राइबर्स को नहीं दिखता है. इस तरह अगर आप इसके लिए पैसे चुकाते हैं तो आप भी आसानी से ये पेड कंटेट देख पाएंगे.

दुनियाभर के क्रिएटर्स को मिलेगा कमाई का जरिया

इस नये फीचर से दुनियाभर के क्रिएटर्स को पैसे कमाने का एक जरिया मिलने वाला है. कंपनी ने इस नए टूल का सब्सक्रिप्शन शुरू कर दिया है. इसमें क्रिएटर्स यह भी चेक कर पाएंगे कि उनका सब्सक्रिप्शन टूल किस तरह से काम कर रहा है.

साथ ही क्रिएटर को आसानी से ये पता लग जाएगा कि उनकी स्टोरीज पर सब्सक्राइबर स्टीकर पर कितने लोगों ने टैप किया है. इसके अलावा कंपनी क्रिएटर्स के एक्सक्लूसिव कंटेंट को प्रोटेक्ट करने के लिए एक नए फीचर पर काम कर रही है, जिसमें  कोई भी यूजर न तो उसे रिकॉर्ड कर पाएगा और न ही स्क्रीनशॉट ले पाएगा. 

जानकारी के मुताबिक, इंस्टाग्राम एक ऐसे फीचर पर भी काम कर रहा है जिसमें यूजर्स यह डिसाइड कर पाएंगे कि कौन उन्हें स्टोरीज में कोट कर सकता है और साथ ही पोस्ट की नोटिफिकेशन्स को भी म्यूट कर पाएंगे. इस फीचर लाने के पीछे मकसद यही है कि इंस्टाग्राम यूजर का ओवरऑल एक्सीपीरयंस और ज्यादा बेहतर हो जाए.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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