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कंटेस्टेंट योगेश कालरा ने दिया 50 लाख रुपये के इस सवाल का गलत जवाब

KBC Update: बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का शो कौन बनेगा करोड़पति 15 (Kaun Banega Crorepati 15) का अच्छा खासा बज बना हुआ है। इस शो में हर रोज कोई न कोई नया कंटेस्टेंट आ रहा है और लाखों रुपये अपने नाम कर रहा है। हाल ही में हॉट सीट पर कंटेस्टेंट पर योगेश कालरा बैठे। उन्होंने काफी अच्छे तरीके से गेम को खेला नहीं एक सवाल पर वो अटक गए। दरअसल, योगेश कालरा ने 25 लाख रुपये जीत लिए थे लेकिन 1 गलत जवाब की वजह से वो सीधा 3 लाख 20 हजार पर लुढ़क गए।

इस सवाल पर अटके योगेश कालरा

दरअसल, अमिताभ बच्चन ने योगेश से 50 लाख रुपये के लिए पूछा था कि डॉ. एस जयशंकर ने गोवा में संरक्षित 16वीं सदी की ईसाई संत रानी केतेवन के अवशेष किस देश को सौंपे थे? इसके 4 ऑप्शन थे पहला अरमेनिया, पुर्तगाल, जॉर्जिया और सर्बिया। इस सवाल का उत्तर योगेश को नहीं था और उनके पास कोई लाइफलाइन भी नहीं थी। लेकिन फिर भी उन्होंने इसे खेलने का रिस्क लिया और वो हार गए। इस वजह से योगेश कालरा को काफी बड़ा नुकसान हुआ है। वो 25 लाख से सीधा 3 लाख 20 हजार पर लुढ़क गए। बता दें कि होस्ट अमिताभ बच्चन भी दुखी हो गए थे कि योगेश इतनी बड़ी राशि हार गए हैं।

अपर्णा सिंह ने जीते 10 हजार रुपये

बताते चलें कि इसके बाद अमिताभ बच्चन ने दोबारा फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट राउंड का ऐलान किया। इसे लखनऊ की अपर्णा सिंह ने जीत लिया। बता दें कि अपर्णा सिंह गूगल में अकाउंट मैनेजर के रूप में काम करती हैं। उन्होंने काफी अच्छे तरीके से शुरुआत की हालांकि वो ज्यादा देर तक टिक नहीं पाती हैं। अपर्णा सिंह 80 हजार के सवाल तक पहंच जाती है लेकिन लाइफ लाइन का प्रयोग करने के बाद भी वो हार जाती है। आखिर में वो महज 10 हजार रुपये की जीत पाती है। इस बात से अमिताभ बच्चन को भी काफी दुख हुआ था।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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