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दुनिया भुलाकर पार्टी करते हैं ये स्टारकिड्स

Yash’s KGF 3 shoot to get delay: कन्नड़ सुपरस्टार यश की फिल्म केजीएफ 3 के लिए बेकरार बैठे फैंस के लिए निराश कर देने वाली खबर है। कन्नड़ सुपरस्टार यश की फिल्म केजीएफ 3 का कुछ वक्त पहले ही मेकर्स ने बड़ा ऐलान किया था। इस फिल्म को निर्देशक प्रशांत नील ही बनाने वाले हैं। जो इस ब्लॉकबस्टर सीरीज की पिछली दोनों फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। केजीएफ सीरीज के बाद सुपरस्टार यश की अगली फिल्म का भी दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। केजीएफ सीरीज की दो बड़ी फिल्मों के बाद भी सुपरस्टार यश ने अभी तक अपनी अगली फिल्म का ऐलान नहीं किया है। यही वजह है कि सभी की नजर उनकी अगली फिल्म पर टिकी हुई है। इस बीच उनकी केजीएफ 3 की घोषणा जरूर कर दी गई है। मगर अब लगता है कि यश को दोबारा ऑन स्क्रीन देखने के लिए लोगों को एक लंबा इंतजार करना होगा।

जूनियर एनटीआर बने केजीएफ 3 की देरी की वजह

दरअसल, बीते दिन ही निर्देशक प्रशांत नील ने अपनी अगली फिल्म के बारे में जानकारी दी थी। निर्देशक प्रशांत नील ने जूनियर एनटीआर के बर्थडे पर उनकी फिल्म एनटीआर 31 की शूटिंग शुरू होने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि सुपरस्टार प्रशांत नील की फिल्म एनटीआर 31 अगले साल मार्च 2024 तक शुरू होने वाली है। जिसके बाद जूनियर एनटीआर के फैंस में खुशी की लहर आ गई। हालांकि इसकी वजह से केजीएफ 3 की रफ्तार पर फिलहाल ब्रेक लग गई है।

एनटीआर 31 की शूटिंग के बाद शुरू होगी केजीएफ 3

निर्देशक प्रशांत नील फिलहाल इन दिनों सुपरस्टार प्रभास स्टारर फिल्म सालार को पूरा करने में बिजी हैं। फिल्म की शूटिंग करीब-करीब पूरी हो चुकी है और ये इन दिनों पोस्ट प्रोडक्शन फेज में हैं। फिल्म में सुपरस्टार प्रभास के साथ अदाकारा श्रुति हासन भी लीड रोल में हैं। साथ ही फिल्म में जगपति बाबू मेन विलेन का किरदार निभाएंगे। फिल्म को पूरा कर निर्देशक प्रशांत नील सुपरस्टार जूनियर एनटीआर की फिल्म एनटीआर 31 शुरू करने वाले हैं। फिल्म को लेकर फैंस में खासा बज है। इस वजह से फिलहाल यश की केजीएफ 3 को शुरू होने में वक्त लगेगा।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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