सपा-कांग्रेस का गठबंधन भाजपा की उडी नींद, देखें क्या कहते हैं आंकड़े


मौजूदा चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन वोटों के इसी गणित को ध्यान में रखकर किया गया है। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि दोनों दलों के वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर हो जाएं तो चुनाव में चौंकाने वाले परिणाम आ सकते हैं। हालांकि उनका कहना है कि गठबंधन तभी लाभदायक होता है जब जमीनी स्तर पर इसका माहौल बना हो।
पहली, 19 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटों को सहेजने की कोशिश, जिन पर मायावती मजबूती से दावा जता रही हैं। दो सेकुलर दलों की दोस्ती से मुसलमानों में यह विश्वास पैदा करने की कोशिश की गई है कि वे ही प्रदेश में भाजपा का विकल्प हैं। दूसरी, एक-दूसरे के वोटों को ट्रांसफर कराकर सीटों की संख्या बढ़ाना।
कांग्रेस को 2012 के विधानसभा चुनाव में 29.15 प्रतिशत और कांग्रेस को 11.63 फीसदी वोट मिले थे। यदि इनके वोट जोड़ दिए जाएं तो 40.78 प्रतिशत बैठते हैं। 2017 के चुनाव में इस वोट बैंक में कुछ कमी आए तो भी सत्ता का रास्ता नहीं रुकेगा।
प्रदेश में पिछली कई सरकारें 30 प्रतिशत के आसपास वोट लेकर बनी हैं। वोट बैंक में एक से डेढ़ प्रतिशत की कमी या बढ़ोतरी सीटों में बड़ा अंतर पैदा कर देती है। गठबंधन से इस वोट बैंक को बढ़ाया जा सकता है।