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57 की एज में इतना सारा एक्शन कैसे कर लेते हैं शाहरुख खान? किंग खान ने किया खुलासा..

Shahrukh Khan On Ask Me Anything: सुपरस्टार शाहरुख खान से लाखों करोड़ों लोग प्यार करते हैं. ऐसे में शाहरुख खान ने इस बार अपने फैंस को अपने बिजी लाइफ शेड्यूल से 31 मिनट निकाल कर उनके साथ वक्त गुजारा. इसके पीछे की खास वजह रही. 

15 मिनट की जगह 31 मिनट क्यों लाइव रहे शाहरुख?

दरअसल, शाहरुख खान की फिल्म दीवाना आज ही के दिन रिलीज हुई थी. इस फिल्म को आज पूरे 31 साल बीत चुके हैं. ऐसे में शाहरुख खान के लिए ये फिल्म उनके करियर की बेस्ट फिल्मों में से एक रही है. इस फिल्म से उनका करियर चल पड़ा था. वहीं उनकी ये फिल्म आज भी उनके फैंस के लिए बेहद स्पेशल है. ऐसे में शाहरुख ने इसी वजह से फैंस को अपनी लाइफ के 31 मिनट दिए. बता दें, वैसे शाहरुख हमेशा 15 मिनट के लिए ही ट्विटर पर बैठ कर फैंस से बतियाते हैं और फैंस के आड़े तिर्छे जैसे भी सवाल होते हैं उनके जवाब बड़े ही दिल से देते हैं.   

फैन ने शाहरुख खान से पूछा दिलचस्प सवाल

आस्क मी एनीथिंग सेशन के दौरान एक फैन ने शाहरुख से पूछा कि वे 57 की एज में भी इतना सारा एक्शन कैसे कर लेते हैं. इस पर शाहरुख का दर्द छलक पड़ा. सुपरस्टार ने अपनी कंडिशन बताई और फैन से कहा- ‘बहुत पेनकिलर्स खाने पड़ते हैं भाई.’ बता दें, शाहरुख की कुछ वक्त पहले आई फिल्म पठान में सुपरस्टार के एक्शन की काफी तारीफें हुई थीं. शाहरुख खान फिल्म में बेहद फिट दिखाई दिए थे. ऐसे में शाहरुख की इस एज में भी इतना ऐनर्जेटिक होने का राज फैन ने पूछ ही डाला.

इस दौरान तमाम फैंस शाहरुख के इस ट्वीट पर कमेंट कर कहने लगे-सर हम आपकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करते हैं, ताकि आप हमें ऐसे ही एंटरटेन करते रहें. तो किसी ने कहा-भगवान आपको हर बुरी नजर से बचाए आप हमेशा स्वस्थ रहें.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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