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बड़ी मेहनत से ChatGPT से लिखवाया Amazon के लिए फेक 5-स्टार रिव्यू, लेकिन एक गलती ने पोल खोल दी

ChatGPT Amazon Review : अमेजन और फ्लिपकार्ट पर फेक रिव्यू मिलना अब आम लगता है. लेकिन, जब पता चलता है कि फेक रिव्यू को AI की मदद से लिखा गया है तो समस्या बड़ी नजर आती है. दरअसल, हाल ही में, कुछ स्क्रीनशॉट सामने आए, जिनमें नजर आ रहा है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट पर रिव्यू के लिए चैट जीपीटी का सहारा लिया गया है. अब वो बात है न नकल के लिए भी अकल की जरूरत होती है, तो बस नकल तो की लेकिन अकल का इस्तेमाल नहीं किया गया. नतीजा यह निकला कि भांडा फूट गया. खबर में डिटेल जानिए. 

ऐसे पकड़ा गया नकली रिव्यू

यूजर्स कुछ समय से अमेजन पर ChatGPT जैसे टूल के माध्यम से लिखे गए फेक रिव्यू देख रहे हैं. अगर इन फेक रिव्यू पर जल्द लगाम नहीं लगाई गई, तो स्तिथि काफी खराब हो जाएगी. रिव्यू AI की मदद से लिखवाए गए हैं, इस बात का खुलासा तब हुआ, जब कई केस में, “As an AI language model” से शुरू होने वाले फेक रिव्यू को पाया गया.  इसका मतलब है कि अपलोडर ने अपलोड करने से पहले रिव्यू को प्रूफरीड करने की जहमत तक नहीं उठाई और टेक्स्ट को जैसा है वैसा ही कॉपी कर पेस्ट कर दिया. यह एक बड़ी समस्या बन सकती है क्योंकि ऑनलाइन सामान खरीदते समय कस्टमर्स रिव्यू जरूरी भूमिका निभाते हैं. 

स्कैमर्स ने सभी प्रोडक्ट को दी 5-स्टार रेटिंग

नकली रिव्यू वाले सभी प्रोडक्ट को स्कैमर्स से 5-स्टार रेटिंग मिली है. बता दें, अमेजन और फ्लिपकार्ट ने नकली यूजर रिव्यू से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए थे. जुलाई 2022 में, अमेजन ने एक ब्लॉग में कहा कि कंपनी ने 10,000 से अधिक फेसबुक ग्रुप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की, जो पैसे या फ्री प्रोडक्ट के बदले में अमेजन पर फेक रिव्यू करने का प्रयास कर रहे थे.

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फ्लिपकार्ट ने सितंबर 2022 में नकली प्रोडक्ट और सेलर की पहचान करने में यूजर्स की मदद के लिए एक पोस्ट भी प्रकाशित की थी. हालांकि, जैसे-जैसे चैटजीपीटी, बिंग और बार्ड जैसे जनरेटिव एआई प्लेटफॉर्म अधिक लोकप्रिय होते जा रहे हैं, फर्जी रिव्यू की समस्याएं बढ़ती रहेंगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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