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WhatsApp में जल्द आप बिना नाम डाले भी क्रिएट कर पाएंगे ग्रुप्स, लेकिन… 

WhatsApp Upcoming Feature: मेटा के सीईओ मार्क ज़ुकेरबर्ग ने फेसबुक के जरिए ये बताया कि जल्द यूजर्स को वॉट्सऐप में एक नया फीचर मिलेगा जिसकी मदद से वे बिना नाम डालें भी दोस्तों के साथ ग्रुप्स बना पाएंगे. यानि ग्रुप नेम की जरूरत नहीं होगी. मार्क ज़ुकेरबर्ग ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि जब आप चैट में शामिल होने वाले लोगों के आधार पर वॉट्सऐप ग्रुप का नाम रखना चाहते हैं और आपके पास कोई दूसरा नाम न हो, तो ऐसा फीचर जल्द ऐप में आने वाला है. 

फिलहाल वॉट्सऐप में ग्रुप्स बनाने के लिए उसका नाम रखना जरुरी होता है जबकि फोटो और ग्रुप डिस्क्रिप्शन ऑप्शनल होता है. जल्द यूजर्स को ग्रुप्स के नाम भी लिबर्टी मिलेगी और वे बिना नाम के भी ग्रुप बना पाएंगे. हालांकि इस स्थिति में वॉट्सऐप अपने आप ग्रुप में मौजूद लोगों के नाम के आधार पर ग्रुप का नाम रख लेगा. यदि एडमिन को ये पसंद नहीं आता है तो वे इसे किसी भी समय बदल सकता है.

सिर्फ इतने लोग हो पाएंगे ऐड 

बिना नाम वाले वॉट्सऐप ग्रुप में केवल 6 लोग ही ऐड हो पाएंगे. अगर 6 लोगों से ज्यादा का वॉट्सऐप ग्रुप बनता है तो आपको ग्रुप को नाम देना ही होगा. इसके अलावा, बिना नाम वाले ग्रुप में प्रत्येक प्रतिभागी के फोन में ग्रुप का नाम अलग-अलग दिखाई देगा. यानि ग्रुप मेंबर ने जिस नाम से लोगों के कांटेक्ट सेव किए होंगे, उस आधार पर हर किसी के फोन में ग्रुप का नाम आएगा. जैसे अगर किसी ने X और Y सेव किया है और किसी ने P और Z तो दोनों के फोन में ग्रुप का नाम अलग-अलग आएगा.पहले यूजर के लिए ग्रुप XY और दूसरे के लिए PZ हो सकता है.

जहां तक ​​उपलब्धता का सवाल है, वॉट्सऐप का कहना है कि वह अगले कुछ हफ्तों में वैश्विक स्तर पर अपने यूजर्स के लिए एंड्रॉइड , आईओएस और वेब  पर ये सुविधा शुरू कर सकता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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