टैकनोलजी

Passport सेवा प्रोग्राम 2.0 लाएगी सरकार, e-Passport टेक्नोलॉजी लाने की है तैयारी

भारत पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम (PSP-Version 2.0) के दूसरे फेज को शुरू करने की तैयारी है. बता दें, पासपोर्ट सेवा दिवस के अवसर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात की घोषणा की थी. यह नया फेज एडवांस और एडवांस ई-पासपोर्ट पेश करेगा, जो अपने नागरिकों को कुशल और सुलभ पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने की देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

नागरिकों को होगी आसानी 

खबर के मुताबिक, अपने संदेश में, जयशंकर ने पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम संस्करण 2.0 (Passport Seva Programme Version 2.0) के मकसद को रेखांकित किया, इसे नागरिकों के लिए जीवनयापन में आसानी बढ़ाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के साथ जोड़ा. बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, इस नए फेज के तहत पहल का उद्देश्य EASE के सिद्धांतों द्वारा चिह्नित एक आदर्श बदलाव लाना है.

पासपोर्ट सर्विस में हुआ है काफी सुधार

पासपोर्ट सेवा कार्यक्रम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने भारत और विदेश में सभी पासपोर्ट जारी करने वाले अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय पासपोर्ट संगठन के उनके सहयोगियों की सराहना की. उन्होंने प्रगति का आकलन करने और पासपोर्ट सेवा वितरण में उच्चतम मानकों को हासिल करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराने के अवसर के रूप में पासपोर्ट सेवा दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला. विदेश मंत्रालय ने नागरिकों को समय पर, विश्वसनीय, सुलभ, पारदर्शी और कुशल पासपोर्ट सेवाएं प्रदान करने के प्रति अपने समर्पण की पुष्टि करते हुए, जयशंकर के संदेश को ट्विटर पर साझा किया.

पासपोर्ट सेवा केंद्रों में जोरदार बढ़ोतरी

कोविड​​-19 महामारी का असर देखा गया. इस बात पर जयशंकर ने पासपोर्ट से संबंधित सेवाओं की मांग में बढ़ोतरी के लिए विदेश मंत्रालय के प्रयासों पर प्रकाश डाला. साल 2022 में, मंत्रालय ने रिकॉर्ड तोड़ 13.32 मिलियन पासपोर्ट और दूसरे सेवाओं को उपलब्ध कराया जो 2021 की तुलना में 63% ज्यादा है. पिछले कुछ सालो में, पासपोर्ट सेवा केंद्रों (पीएसके) की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो 2014 में 77 से बढ़कर आज 523 हो गई है. 

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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