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कियारा आडवाणी ने सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​से शादी के बाद पहली रसोई में बनाई थी ये रेसिपी

Kiara Advani Siddharth Malhotra: कियारा आडवाणी और सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​बी-टाउन के सबसे पसंदीदा कपल में से एक हैं. इस जोड़ी ने अपनी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री और ऑफ-स्क्रीन रोमांस से लाखों लोगों का दिल जीत लिया है.

फैंस दोनों की हर एक अपडेट पर नजर रखते हैं और इस जोड़ी पर प्यार बरसाते हैं. अभिनेत्री ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि सिद्धार्थ के साथ शादी के बंधन में बंधने के बाद सबसे पहले कौन सी रेसिपी बनाई थी.

कियारा ने सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​से शादी के बाद बनाई पहली रेसिपी का किया खुलासा

कियारा आडवाणी से सिद्धार्थ मल्होत्रा ​​से शादी के बाद बनाई गई पहली रेसिपी शेयर करने के लिए कहा गया. एक सैनिक ने अभिनेत्री से पूछा, “शादी के बाद पहली बार आपने अपनी रसोई में कौन सी रेसिपी बनाई थी?” कियारा ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने अभी तक कुछ भी नहीं बनाया है, बस पानी उबाल लिया होगा”.

 

खुद को भाग्यशाली बताते हुए कियारा ने खुलासा किया कि उनके पति और अभिनेता सिद्धार्थ एक बेहतरीन कुक हैं. उन्होंने कहा, “मैं भाग्यशाली हूं क्योंकि मेरे पति को खाना बनाना पसंद है. तो ज्यादातार वो कुछ बना लेते हैं खुद के लिए और मैं खा लेती हूं. कियारा ने सिद्धार्थ की फेवरेट डिश का भी खुलासा किया और कहा, “वह वाकई में बहुत अच्छी रोटी बनाते हैं. रोटी बनाना भारी काम है लेकिन वह बहुत अच्छी रोटी बनाते हैं”.

 

इस जोड़े ने इसी साल 7 फरवरी को शादी की थी. उनकी शादी की तस्वीरें भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली इंस्टाग्राम पोस्ट हैं. उन्होंने ‘शेरशाह’ में सिद्धार्थ के साथ स्क्रीन स्पेस साझा किया जहां उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई थी. 

 

सत्यप्रेम की कथा की सफलता के बाद कियारा अगली बार राम चरण के साथ गेम चेंजर में दिखाई देंगी. वहीं सिद्धार्थ के पास विवेक ओबेरॉय और शिल्पा शेट्टी के साथ रोहित शेट्टी की भारतीय पुलिस फोर्स है. वह दिशा पटानी और राशि खन्ना के साथ योद्धा का भी हिस्सा हैं. फिल्म दिसंबर 2023 में रिलीज होगी.

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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