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लोगों को पसंद नहीं आ रहे लैपटॉप, टेबलेट? 2022 में इस डिवाइस को सबसे ज्यादा किया पसंद

Mobile phone Share in total web ttraffic: कामकाज के लिए भले ही लोग लैपटॉप, डेस्कटॉप या टेबलेट खरीदते हो लेकिन सबसे ज्यादा टाइम लोग मोबाइल फोन पर ही स्पेंड करते हैं. CasinosEnLigne.com ने एक डेटा शेयर किया है जिसमें ये बात सामने आई है कि साल 2022 में करीब 59% वेब ट्रेफिक मोबाइल फोन से आया जोकि  2021 के मुकाबले 10% ज्यादा है. यानी वेब ट्रेफिक का कुल दो तिहाई हिस्सा अकेले मोबाइल फोन से आया है.

एक तरफ जहां मोबाइल से आने वाले वेब ट्रेफिक का काउंट लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ लैपटॉप, पीसी और टेबलेट का शेयर लगातार कम हो रहा है. वेबसाइट के मुताबिक, लैपटॉप और पीसी से साल 2022 में कुल 38.9 प्रतिशत ट्रैफिक आया जोकि 2021 के मुकाबले 10.4 प्रतिशत कम है. वहीं, टेबलेट की बात करें तो टेबलेट का शेयर 19.8% रहा जोकि पिछले साल के मुकाबले 1.98 प्रतिशत कम था.

सबसे ज्यादा इस देश में मोबाइल से एक्सेस करते हैं लोग इंटरनेट

वियतनाम में करीब 86.6 प्रतिशत वेब ट्रेफिक मोबाइल फोन से आया जो पिछले साल किसी देश का मोबाइल से आने वाला सबसे ज्यादा ट्रैफिक रहा जबकि सबसे कम ट्रैफिक शेयर बेल्जियम, नॉर्वे और डेनमार्क का था. डेनमार्क से करीब 32.9 प्रतिशत वेब ट्रैफिक मोबाइल फोन से आया जबकि नॉर्वे से 34.8 प्रतिशत ट्रैफिक मोबाइल फोन से आया.वियतनाम के बाद जिस देश में सबसे ज्यादा ट्रैफिक मोबाइल फोन से आया वो है तुर्की और नाइजीरिया. 

भारत में सबसे ज्यादा खरीदे जाते हैं बजट फोन्स

भारत के स्मार्टफोन मार्केट की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा बजट सेगमेंट के स्मार्टफोन खरीदे और बेचे जाते हैं. हालांकि हर क्वार्टर दर क्वार्टर(Q) डेटा बदलते हैं लेकिन इसके बावजूद सबसे ज्यादा बजट सेगमेंट पर लोगों का जोर रहता है. बजट सेगमेंट में विशेषकर शाओमी, रेडमी, सैमसंग आदि के स्मार्टफोन लोग ज्यादा खरीदते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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