टैकनोलजी

झूठ पकड़ने वाली मशीन कैसे काम करती है? क्या पॉलीग्राफ टेस्ट हमेशा सही होता है?

Lie Detector Machine : लाई डिटेक्टर मशीन, जिसे पॉलीग्राफ मशीन के नाम से भी जाना जाता है. इसका इस्तेमाल काफी समय से कानून एजेंसी और अन्य संगठन यह पता लगाने के लिए कर रहे हैं कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. पॉलीग्राफ मशीन किसी व्यक्ति की शारीरिक रिस्पॉन्सेज में बदलाव को रिकॉर्ड करती है. इससे पता चलता है कि सवाल पूछने के दौरान शख्स सच बोल रहा है या झूठ. आइए डिटेल में जानते हैं कि यह मशीन कैसे काम करती है..

पॉलीग्राफ मशीन कैसे काम करती है?

एक पॉलीग्राफ मशीन में कई कंपोनेंट होते हैं, जिन्हें साथ में मेजर कर किसी व्यक्ति के साइकोलॉजिकल रिस्पॉन्स का पता लगाया जाता है. आइए जानते हैं कि इन घटकों में क्या कुछ शामिल हैं.

  1. न्यूमोग्राफ: यह घटक व्यक्ति के सांस लेने के पैटर्न को रिकॉर्ड करता है और श्वसन गतिविधि में बदलाव का पता लगाता है.
  2. कार्डियोवास्कुलर रिकॉर्डर: यह घटक किसी व्यक्ति की दिल की गति और ब्लड प्रेशर को रिकॉर्ड करता है.
  3. गैल्वेनोमीटर: यह घटक त्वचा की इलेक्ट्रिकल चालकता को मापता है, जो पसीने की ग्रंथि में बदलाव को नोटिस करता है.
  4. रिकॉर्डिंग डिवाइस: यह घटक पॉलीग्राफ मशीन के अन्य घटकों के एकत्र किए गए डेटा को रिकॉर्ड करता है.

जब किसी व्यक्ति को पॉलीग्राफ मशीन से जोड़ा जाता है, तो एग्जामिनर उस व्यक्ति से कई सवाल पूछता है. मशीन व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करती है. सवाल आमतौर पर “हां” या “नहीं” में ही पूछे जाते हैं. एग्जामिनर शुरुआत में आम सवाल भी पूछते हैं, जो केस से रिलेटेड नहीं होते हैं. ऐसा, मशीन को जांचने और रिकॉर्डिंग देखने के लिए किया जाता है. इन आम सवालों से पता चलता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या नहीं.

क्या पॉलीग्राफ टेस्ट हमेशा सटीक होता है?

पॉलीग्राफ टेस्ट हमेशा सटीक नहीं होता है. टेस्ट कभी-कभी दिखा सकता है कि कोई व्यक्ति झूठ बोल रहा है जबकि वे वास्तव में सच कह रहा होता है. ऐसा तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति टेस्ट के दौरान घबराया हुआ या चिंतित होता है.  इसके अलावा, पॉलीग्राफ टेस्ट भी कभी-कभी यह दिखा सकता है कि कोई व्यक्ति सच बोल रहा है जबकि वह वास्तव में झूठ बोल रहा होता है. यह तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति अपनी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को कंट्रोल करने में अच्छा हो या यदि वे मशीन को बेवकूफ बनाने के लिए काउंटरमेशर्स का इस्तेमाल कर रहा हो.

News Reels

यह भी पढ़ें – इंस्टाग्राम पर फॉलोअर्स बढ़ाने के चक्कर में छात्रा ने पापा का अकाउंट कराया खाली, जानिए कैसे हुआ ये स्कैम

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button