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जब ‘राम’ का स्वागत करते वक्त जल गए थे ‘मंथरा’ के पैर, जानें एक्ट्रेस ने फिर क्या किया?

Lalita Pawar Unknown Facts: आज हम बॉलीवुड की जिस अभिनेत्री के बारे में बात करने जा रहे हैं वह कभी पर्दे पर गुस्सैल सास बनीं तो कभी लालची चाची. हालांकि, जिस किरदार के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है, वह दुष्ट मंथरा का है. बिल्कुल सही समझे आप… हम आज बात करने वाले हैं बॉलीवुड में खलनायिका बन झंडे गाड़ने वालीं अभिनेत्री ललिता पवार की. ‘रामायण’ में भगवान राम के वनवास का कारण बनीं मंथरा को असल जिंदगी में कोई सजा मिली हो या न मिली हो, लेकिन रील लाइफ की इस मंथरा को खूब सजा मिली थी. वनवास काटकर स्वागत के लिए फिल्माए गए सीन में ललिता पवार के साथ कुछ ऐसा हुआ था कि वह आज भी सुर्खियों में रहता है. अभिनेत्री की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी के उसी किस्से से रूबरू कराने जा रहे हैं… 

अभिनेत्री से खलनायिका बनने का सफर

नौ साल की छोटी सी उम्र में सिनेमा के पर्दे पर अपने सफर की शुरुआत करने वाली ललिता पवार का जन्म 18 अप्रैल 1961 के दिन नासिक में हुआ था. बॉलीवुड में ललिता पवार के नाम से मशहूर अभिनेत्री का असली नाम अंबा लक्ष्मण राव शगुन था. बतौर अभिनेत्री अपने करियर के सफर को शुरू करने वाली ललिता पवार की जिंदगी में फिल्म सेट पर एक पल ऐसा आया, जिसने उनकी पूरी जिंदगी और चेहरे का नक्शा ही बदल कर रख दिया. दरअसल, भगवान दादा को ललिता पवार को एक जोरदार थप्पड़ लगाना था और जब उन्होंने स्क्रिप्ट की मांग को पूरा करने के लिए ऐसा किया तो वहां सब बदल गया. दरअसल, वह थप्पड़ इतना जोरदार था कि ललिता पवार का चेहरा और उनकी बाईं आंख छोटी हो गई थी. बस उस हादसे के बाद से ललिता पवार फिल्मी पर्दे पर खलनायिका बनकर छा गईं. 

खलनायिका बनकर किया राज

इस हादसे के बाद जब लोग सोच रहे थे कि ललिता पवार अब कभी सिनेमा के पर्दे पर वापसी नहीं करेंगी, तब उन्होंने वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. वह एक के बाद एक फिल्मों में खलनायिका बनकर आती रहीं और अपना जौहर दिखाती रहीं. फिर एक समय ऐसा आया, जब उनके हाथ एक ऐसा रोल लगा, जिसके लिए उन्हें पूरे देश में आज भी याद किया जाता है. यह रोल रामानंद सागर की प्रसिद्ध ‘संपूर्ण रामायण’ का था. राम, लक्ष्मण, भरत, सीता….के साथ-साथ ‘रामायण’ में दुष्ट मंथरा का हमेशा ही महत्वपूर्ण हाथ है. मंथरा न होती तो ‘रामायण’ कभी होती ही नहीं… और यही किरदार ललिता पवार ने निभाया था. 

जब जलते दीये से जले मंथरा के पैर

रुपहले पर्दे पर मंथरा के किरदार में अपने शानदार अभिनय से जान डालने वाली ललिता पवार स्क्रीन पर जब-जब आईं, तब-तब उन्हें देखकर लोग तालियां बजाते थे. वैसे तो मंथरा की हर बात निराली थी, लेकिन ललिता पवार के इस रोल का एक किस्सा ऐसा है, जो अक्सर याद किया जाता है. यह किस्सा भगवान राम के वनवास से लौटने के सीन को फिल्माने के समय का है. भगवान जब 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे तो सभी नगरवासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. इस सीन के लिए सेट पर भी दीये जलाए गए थे. उस दौरान ललिता पवार श्री राम की आरती करने के लिए काफी उत्साहित थीं और इसी उत्साह में उन्होंने अपने पैर जलते दीये पर रख दिए. उनके दोनों पैर बुरी तरह से जल गए और उन्हें आराम करने की सलाह दी गई, लेकिन वह नहीं मानीं और उन्होंने शूटिंग पूरी शिद्दत से खत्म की.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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