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नवंबर में एयरटेल के साथ जुड़े सबसे ज्यादा यूजर्स, वायरलैस ब्रॉडबैंड के मामले में जियो आगे

Jio vs Airtel vs VI: नवंबर 2023 में भारती एयरटेल ने सबसे ज्यादा 4G/5G सब्सक्राइबर्स को अपनी कंपनी के साथ जोड़ा है. इस महीने में एयरटेल कंपनी के साथ 3.98 मिलियन यूजर्स ने अपने नेटवर्क के साथ जोड़ा है. उसके बाद रिलायंस जियो का नंबर आता है.

नवंबर के महीने में जियो नेटवर्क के साथ कुल 3.45 मिलियन यूजर्स जुड़े हैं. इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर वोडाफोन आइडिया की कंपनी का नाम आता है, जिन्होंने नवंबर 2024 में कुल 0.96 मिलियन 4G सब्सक्राइबर्स को अपने नेटवर्क के साथ जोड़ा है.

TRAI ने जारी किया आंकड़ा

टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने सोमवार को एक डेटा शेयर किया है, जिसके मुताबिक नवंबर में एयरटेल ने सबसे ज्यादा सब्सक्राइबर्स को एड किया है, और उसके बाद दूसरे नंबर पर जियो नेटवर्क है, जबकि वोडाफोन आइडिया कंपनी के साथ सबसे कम लोग जुड़े हैं.

हालांकि, नवंबर के खत्म होने तक यानी 30 नवंबर को रिलायंस जियो ने वायरलैस ब्रॉडबैंड के मामले में सबसे ज्यादा यूजर्स को अपने साथ एड किया है. वायरलैस ब्रॉडबैंड की बात करें तो जियो के पास अब कुल 455.82 मिलियन सब्सक्राइबर्स है, जो कि सबसे ज्यादा है. 

वायरलैस ब्रॉडबैंड के मामले में कौन आगे?

वहीं, दूसरे नंबर पर भारती एयरटेल की कंपनी है, जिनके पास नवंबर के महीने में कुल 255.07 मिलियन यूजर्स हो गए हैं, जबकि वोडाफोन आइडिया के पास कुल126.63 मिलियन यूजर्स हो गए हैं. बता दें कि पिछले महीने यानी अक्टूबर की रिपोर्ट में जियो के पास 452.37 मिलियन यूजर्स थे, जबकि एयरटेल के पास  251.09 मिलियन और वो़डाफोन आइडिया के पास 125.67 मिलियन यूजर्स थे. 

इसका मतलब है कि नवंबर में जियो ने सबसे ज्यादा यानी 3.45 मिलियन वायरलैस सब्सक्राइबर्स को अपने साथ जोड़ा है. वहीं, दूसरे नंबर पर एयरटेल की कंपनी है, जिन्होंने अपने साथ 1.75 मिलियन नए सब्सक्राइबर्स को अपने साथ जोड़ा है, जबकि वोडाफोन आइडिया ने 1.07 मिलियन सब्सक्राइबर्स को अपने साथ जोड़ा है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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