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क्‍या आपके पास भी आया इमरजेंसी अलर्ट? जानें सरकार क्‍यों कर रही है इसकी टेस्टिंग

Emergency alert Messsgae: क्‍या आज आपके फोन में भी लंबे बीप साउंड के साथ मैसेज आया है? अगर हां, तो चिंतित न हों. दरअसल, भारत सरकार अपने इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम को टेस्ट कर रही है. इस सिस्टम को टेस्ट करने के लिए एक मैसेज भेजा जा रहा है जो एंड्रॉयड यूजर्स को कुछ दिन पहले मिला था और अब आईफोन यूजर्स को भी ये अलर्ट मिल रहा है. इस मैसेज को तेज बीप साउंड के साथ भेजा गया है जो Emergency Alert: Severe फ्लैश के साथ आया है. ये अलर्ट मैसेज, पैन इंडिया इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम का हिस्सा है जिसे नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा तैयार किया गया है.

आपको क्या करना है?

अगर आपके मोबाइल फोन पर भी ये इमरजेंसी मैसेज आया है तो आपको घबराना नहीं है और इस मैसेज को इग्नोर करना है. दरअसल, सरकार इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम को टेस्ट कर रही है इसलिए इसे पैन इंडिया कंज्यूमर्स को भेजा जा रहा है. हो सकता है कि आप में से कई लोगों को मैसेज अभी न मिला हो.  अलग-अलग समय पर ये लोगों को मिल रहा है. ये अलर्ट मैसेज डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकॉम के सेल ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम के जरिए भेजा जा रहा है. अगर आप इस मैसेज को ध्यानपूर्वक पढ़ेंगे तो इसमें देखेंगे कि ये लिखा गया है कि ये मैसेज टेस्टिंग के लिए है और इसे इग्नोर करना है.

आखिर क्यों भेजा जा रहा है ये मैसेज?

अगर आप सोच रहे हैं कि सरकार इस मैसेज को ऐसे अचानक क्यों भेज रही है तो इसका सरल सा जवाब है कि सरकार इस ब्रॉडकास्टिंग मेसेज सर्विस का इस्तेमाल इमरजेंसी के वक्त करेगी. उदाहरण के लिए मान लीजिए आपके एरिया में तेज तूफान या बाढ़ आने की आशंका है, तो इस स्थिति में सरकार अपने सिस्टम का इस्तेमाल करेगी और समय रहते आपको अलर्ट देगी ताकि आप अपने बचाव में जो कुछ भी मुमकिन हो वह कर पाए. एक तरह से ये इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम ठीक रेडियो पर भेजे जाने वाले अलर्ट की तरह काम करेगा. पहले रेडियो पर वार्निंग मैसेज भेजा जाता था और अब मोबाइल पर इसे भेजा जा रहा है क्योकि स्मार्टफोन का इतेमाल बढ़ गया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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