टैकनोलजी

इन्वर्टर AC बन रहे इनर्जी एफिशिएंसी रिवॉल्यूशन के ध्वजवाहक, लागत का खर्च आता है कम 

भारत में इन्वर्टर एयर कंडीशनर (Inverter AC) इनर्जी सेविंग (energy efficiency revolution) में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. यही वजह है कि इनर्जी एफिशिएंट इन्वर्टर एसी कस्टमर्स और मैनुफैक्चरर्स के बीच काफी डिमांडिंग हैं. इस वजह से प्रोडक्शन भी लगातार बढ़ रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, एसी बनाने वाली कंपनियों ने कहा कि कॉस्ट में कमी, जलवायु को लेकर बढ़ती जागरूकता और लोगों की बढ़ती क्रय शक्ति से भारत में घरेलू मैनुफैक्चरिंग को बड़ा सपोर्ट मिला है. इसका फायदा यह हुआ है कि आयात और लागत में तेजी से कमी आई है.है।

इन्वर्टर एसी की हिस्सेदारी

खबर के मुताबिक, ऊर्जा मंत्रालय के तहत ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (बीईई) के लेटेस्ट आंकड़ों बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2015-16 (FY16) में 47 लाख यूनिट की कुल रूम एसी (आरएसी) मार्केट में इन्वर्टर एसी की हिस्सेदारी (inverter ac market stake in India) महज 1 प्रतिशत से भी कम थी. इसके बाद वित्त वर्ष 2013 तक, हिस्सेदारी बढ़कर 77 प्रतिशत हो गई है, जबकि फिक्स्ड-स्पीड आरएसी की हिस्सेदारी घटकर 23 प्रतिशत रह गई है.

इन्वर्टर एसी है बेहतर ऑप्शन

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक इंडिया के लिविंग एनवायरनमेंट डिवीजन के डायरेक्टर और बिजनेस यूनिट प्रमुख नाओहिको होसोकावा का कहना है कि इन्वर्टर एसी (Inverter AC) अपनी कम ऑपरेशनल कॉस्ट, बढ़ी हुई पावर एफिशिएंसी, शोर रहित संचालन और अधिकतम उपयोग सुरक्षा के चलते नॉन-इन्वर्टर एसी के मुकाबले बेहतर ऑप्शन है.

भारतीय एसी मार्केट

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय एयर कंडीशनर मार्केट (Indian AC market) के 2022 से 2028 तक 7.76% सीएजीआर के साथ बढ़ते हुए 2028 तक 399.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. भारत की जनसंख्या में जिस तेजी से बढ़ती जा रही है और इसकी अर्थव्यवस्था में बदलाव आ रहा है, एयर कंडीशनिंग इंडस्ट्री में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक के तौर पर उभरा है.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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