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टेंशन क्यों लेना? अब स्मार्टफोन और इंटरनेट के बिना भी कर सकेंगे Online पेमेंट

How to pay online without smartphone or internet: स्मार्टफोन आज हर शख्स की जरूरत बन गया है. चाहे छोटा काम हो या फिर बड़ा…हर चीज स्मार्टफोन से ही की जाती है. आज के समय में ऐसे भी लोग हैं जिनके पास स्मार्टफोन मौजूद नहीं हैं और वो फीचर फोन चलाते हैं. इस तरह ये फोन इंटरनेट की सुविधा से दूर हैं. इन्हीं लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए NPCI यानी नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बिना स्मार्टफोन और इंटरनेट के ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा दी है. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे पॉसिबल हो सकता है. आइए हम आपको बताते हैं

अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है या फिर मोबाइल में इंटरनेट मौजूद नहीं है तो भी आप आसानी से ऑनलाइन पेमेंट कर सकते हैं. इसके लिए आपको UPI123Pay का इस्तेमाल कर यूपीआई पेमेंट कर सकते हैं. एक बात ध्यान देने वाली यह है कि अगर आप बिना इंटरनेट के पेमेंट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके फोन में USSD सर्विस एक्टिव होनी चाहिए और साथ ही आपके अकाउंट में पैसे होने चाहिए. इस पेमेंट की एक लिमिट होती है. इसमें यूपीआई पेमेंट की लिमिट 2000 प्रति लेनदेन है और पूरे दिन की लिमिट 10 हजार रुपये है. 

कैसे कर सकते हैं UPI पेमेंट? 

  • बिना स्मार्टफोन के यूपीआई पेमेंट करने के लिए आपको सबसे पहले फोन #99 डायल करना है
  • इसके बाद आपसे 1,2,3 नंबर पूछे जाएंगे, जिनमें से आपको 1 ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा.
  • अब आपके पास ट्रांजेक्शन के लिए पूछा जायेगा, यहां आपको लेनदेन के टाइप को सेलेक्ट करना है
  • आपको जिस भी यूपीआई आईडी पर पैसे भेजने हैं, उसकी सारी डिटेल अपने पास रखें.
  • इसमें यूपीआई आईडी, फोन नंबर और बैंक अकाउंट जैसी जानकारी शामिल हैं
  • अब आपको जितना भी अमाउंट भेजना है, उसे दर्ज करें.
  • इसके बाद आपसे यूपीआई आईडी पूछी जाएगी, जिसे आपको दर्ज करना है
  • इन सभी स्टेप्स के बाद अब आपको सेंड टैप कर देना है 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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