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ई-कॉमर्स साइट पर लूट के चक्कर में न लुट जाए आपकी जेब! सेल के नाम पर चल रही है धांधली

E-Commerce Sites Fraud : फेस्टिव सीजन चल रहा है, इस सीजन में ज्यादातर ई-कॉमर्स साइट ने सेल शुरू की हुई है. जिसमें सबसे ज्यादा लोग फ्लिपकार्ट की बिग बिलियन डे सेल और अमेजन की ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में सामान खरीदते हैं. लेकिन इन ऑनलाइन सेल के बहाने बहुत से फर्जीवाड़े भी हो रहे है, जो ई-कॉमर्स से मिलती जुलती साइट के नाम पर किए जा रहे हैं. अगर आप इन फर्जीवाड़ों से बचना चाहते हैं, तो यहां हम इसकी डिटेल बता रहे हैं. 

कैसे फंसाते हैं जाल में

शातिर ठग ई-कॉमर्स साइट फ्लिपकार्ट, अमेजन और दूसरी ई-कॉमर्स साइट से मिलते जुलते नाम की वेबसाइट बना लेते हैं, और कस्टमर को SMS और ई-मेल के जरिए सेल की जानकारी देते हैं. साथ ही इन SMS और ई-मेल में साइट का लिंक भी अटैच किया हुआ होता है, जिस पर क्लिक करते ही आप इन साइट पर रीडायरेक्ट कर जाते हैं.  

एक बार ओपन करते हैं जेब कटना हो जाती है शुरू

जैसे ही आप इन फर्जी वेबसाइट पर लॉग इन करते हैं, वैसे ही ये मैलवेयर और दूसरे वायर से आपकी निजी जानकारी जुटाना शुरू कर देते हैं. आपको बता दें इन फर्जी वेबसाइट की डिजाइन और नाम असली वेबसाइट से बिलकुल मिलता जुलता होता है. 

ऑर्डर करने पर नहीं होती डिलीवरी

जब आप इन फर्जी ई-कॉमर्स साइट के जरिए ऑर्डर करते हैं, तो आपके अकाउंट से पैसे तो कट जाते हैं, लेकिन आपको सामान की डिलीवरी नहीं होती. साथ ही फर्जी वेबसाइट पर पेमेंट करने के दौरान आपकी बैंकिंग डिटेल भी इनके हाथ लग जाती है और ये आपका पूरा अकाउंट खाली कर देते हैं.

कैसे बचें इन फर्जी साइट के झमेले से

अगर आप इन फर्जी ई-कॉमर्स साइट के झमेलों में नहीं फसना चाहते हैं, तो आपको इन वेबसाइट पर लॉगिन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए. साथ ही आपको चेक करना चाहिए कि कहीं आपने कोई गलत वेबसाइट तो आपन नहीं की हुई है. वहीं कोई भी सामान ऑर्डर करते समय कोशिश किया करें की, आपका ऑर्डर पे ऑन डिलीवरी हो.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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