टैकनोलजी

1 जनवरी से इन लोगों का बंद हो जाएगा Gpay, Paytm और Phonepe अकाउंट, इसमें कहीं आप भी तो नहीं? 

अगर आप यूपीआई ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक जरुरी खबर है. दरअसल, नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया ने सभी यूपीआई ऐप्स जैसे कि Gpay, Paytm, Phonepe और BharatPe को इनएक्टिव UPI अकाउंट्स को बंद करने के आदेश दिये हैं. उन लोगों के UPI अकाउंट बंद किए जाएंगे जिन्होंने पिछले एक साल से अपनी UPI आईडी का इस्तेमाल नहीं किया है. सभी कंपनियां 31 दिसंबर के बाद से ऐसे अकाउंट्स को बंद करने लगेंगी.

इस वजह से लिया गया ये फैसला 

TRAI के आदेश के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियां डीएक्टिवेटेड सिमकार्ड को 90 दिन बाद दूसरे यूजर को जारी कर सकती हैं. यानि अगर कोई व्यक्ति एक नंबर को 90 दिन तक यूज नहीं करता तो ये फिर दूसरे व्यक्ति को मिल जाएगा. परेशानी तब है जब वही नंबर बैंक के साथ भी जुड़ा हो और यूजर ने अपना नया नंबर बैंक अकाउंट के साथ अपडेट न किया हो. इससे होगा ये कि जिस भी व्यक्ति को वो नंबर मिलेगा वो उसकी मदद से UPI ऐप्स को एक्टिवेट कर लेगा क्योकि वही नंबर बैंक के साथ लगा हुआ है. इस परेशानी से लोगों को बचाने के लिए NPCI ने UPI ऐप्स को पिछले एक साल से इनएक्टिव पड़े सभी अकाउंट्स को बंद करने के निर्देश दिये हैं.

NPCI ने कही है ये बात

नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया का सर्कुलर टीपीएपी और पीएसपी बैंकों को उन ग्राहकों की यूपीआई आईडी, संबंधित यूपीआई नंबर और फोन नंबर की पहचान करने का निर्देश देता है, जिन्होंने यूपीआई ऐप के माध्यम से एक वर्ष से कोई वित्तीय या गैर-वित्तीय लेनदेन नहीं किया है. NPCI ने ऐसे ग्राहकों की यूपीआई आईडी और यूपीआई नंबर को इनवर्ड क्रेडिट लेनदेन से रोकने और यूपीआई मैपर से अपंजीकृत करने के लिए कहा है. इनवर्ड क्रेडिट लेनदेन को दोबारा शुरू करने के लिए ग्राहकों को अपने UPI ऐप से फिर से रजिस्टर कर UPI आईडी को लिंक करना होगा. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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